श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् | Shri Ganpati Dwadash Naam Stotram
Shri Ganpati Dwadash Naam Stotram: इस स्तोत्र में भगवान श्री गणेश के बारह चमत्कारी नामों का वर्णन है, इनके जपने मात्र से पार्वती सुत गणेश प्रसन्न हो जाते हैं।
श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्
शुक्लांम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशांतये ॥
अभीप्सितार्थसिद्ध्यर्थं पूजेतो य: सुरासुरै: ।
सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नम: ॥
गणानामधिपश्चण्डो गजवक्त्रस्त्रिलोचन: ।
प्रसन्न भव मे नित्यं वरदातर्विनायक ॥
स्तोत्रम्
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णक: ।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायक: ॥१॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजानन: ।
द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणुयादपि ॥२॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा ।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते ॥३॥
॥ इति श्रीगणेशद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम ॥
अर्थ- सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्ण, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र और गजानन, ये सभी गणेश जी के बारह नाम है। जो मनुष्य विद्यारंभ, विवाह, गृहप्रवेश, यात्रा, युद्ध तथा किसी भी संकट के समय इन नामों का पाठ करता है अथवा सुनता है तब उसके काम में विघ्न पैदा नहीं होता है।