श्री हनुमान बाहुक पाठ | Hanuman Bahuk Path PDF & Lyrics in Hindi
Hanuman Bahuk: श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान बाहुक का पाठ किया जाता है। हनुमान जन्मोत्सव व जयंती पर इसका पाठ अत्यंत फलदायी होता है, जीवन में चल रही बाधाओं और कष्टों से मुक्ति के लिए Hanuman Bahuk का पाठ नियमित रूप से संकल्प लेकर अवश्य करें।
श्री हनुमान बाहुक पाठ
॥ छप्पय ॥
सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बालबरन-तनु।
भुज
बिसाल, मूरति कराल कालहुको काल जनु॥
गहन-दहन-निरदहन-लंक नि:संक,
बंक-भुव।
जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव॥
कह तुलसिदास सेवत सुलभ,
सेवक हित संतत निकट।
गुनगनत, नमत, सुमिरत, जपत, समन सकल-संकट-बिकट
॥1॥
स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रबि-तरुन-तेज-घन।
उर
बिसाल, भुजदण्ड चंड नख बज्र बज्रतन॥
पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना
दसनानन।
कपिस केस, करकस लँगूर, खल-दल बल भानन॥
कह तुलसिदास बस जाहु
उर मारुतसुत मूरति बिकट।
संताप पाप तेहि पुरुष पहिं सपनेहूँ नहिं आवत निकट
॥2॥
॥ झूलना ॥
पंचमुख-छमुख-भृगुमुख्य
भट-असुर-सुर,
सर्व-सरि-समत समरत्थ सुरो।
बाँकुरो बीर बिरुदैत
बिरुदावली,
बेद बंदी बदत पैजपूरो॥
जासु गुनगाथ रघुनाथ कह, जासु
बल,
बिपुल-जल-भरित जग-जलधि झूरी।
दुवन-दल-दमनको कौन तुलसीस है
पवनको
पूत रजपूत रूरो ॥3॥
॥ घनाक्षरी ॥
भानुसों पढ़न
हनुमान गये भानु मन,
अनुमानि सिसुकेलि कियो फेरफार सो।
पाछिले पगनि
गम गगन मगन-मन,
क्रमको न भ्रम, कपि बालक-बिहार सो॥
कौतुक बिलोकि
लोकपाल हरि हर बिधि
लोचननि चकाचौंधी चित्तनि खभार सो
बल कैधौं बीररस,
धीरज कै, साहस कै,
तुलसी सरीर धरे सबनिको सार सो ॥4॥
भारत
में पारथ के रथकेतु कपिराज,
गाज्यो सुनि कुरुराज दल हलबल भो।
कह्यो
द्रोन भीषम समीरसुत महाबीर,
बीर-रस-बारि-निधि जाको बल जल भो॥
बानर
सुभाय बालकेलि भूमि भानु लागि,
फलँग फलाँगहँतें घाति नभतल भो।
नाइ-नाइ
माथ जोरि-जोरि हाथ जोधा जोहैं,
हनुमान देखे जगजीवन को फल भो ॥5॥
गोपद
पयोधि करि होलिका ज्यों लाई लंक,
निपट निसंक परपुर गलबल भो।
द्रोन-सो
पहार लियो ख्याल ही उखारि कर,
कंदुक-ज्यों कपिखेल बेल कैसो फल भो॥
संकटसमाज
असम्झस भो रामराज
काज जुग-पूगनिको करतल पल भो।
साहसी समत्थ तुलसीको
नाह जाकी बाँह,
लोकपाल पालनको फिर थिर थल भो॥6॥
कमठकी
पीठि जाके गोड़निकी गाड़ै मानो
नापके भाजन भरि जलनिधि-जल भो।
जातुधान-दावन
परावनको दुर्ग भयो,
महामीनबास तिमि तोमनिको थल भो॥
कुंभकर्न-रावन-पयोदनाद-ईंधनको
तुलसी
प्रताप जाको प्रबल अनल भो।
भीषम कहत मेरे अनुमान हनुमान
सारिखो
त्रिकाल न त्रिलोक महाबल भो ॥7॥
दूत रामरायको, सपूत पूत
पौनको, तू
अंजनीको नंदन प्रताप भूरि भानु सो।
सीय-सोच-समन,
दुरित-दोष-दमन,
सरन आये अवन, लखनप्रिय प्रान सो॥
दसमुख दुसह दरिद्र
दरिबेको भयो,
प्रकट तिलोक ओक तुलसी निधान सो।
ज्ञान-गुनवान बलवान
सेवा सावधान,
साहेब सुजान उर आनु हनुमान सो ॥8॥
दवन-दुवन-दल
भुवन-बिदित बल,
बेद जस गावत बिबुध बंदीछोर को।
पाप-ताप-तिमिर
तुहिन-विघटन-पटु,
सेवक-सरोरुह सुखद भानु भोरको॥
लोक-परलोक
तें बिसोक सपने न सोक,
तुलसीके हिये है भरोसो एक ओरको।
रामको दुलारो
दास बामदेवको निवास,
नाम कलि-कामतरु केसरी-किसोर को ॥9॥
महाबल-सीम,
महाभीम, महाबानइत,
महाबीर बिदित बरायो रघुबीरको।
कुलिस-कठोरतनु
जोरपरै रोर रन,
करुना-कलित मन धारमिक धीर को॥
दुर्जनको कालसो कराल
पाल सज्जन को,
सुमिरे हरनहार तुलसीकी पीरको।
सीय-सुखदायक दुलारो
रघुनायकको,
सेवक सहायक है साहसी समीरको ॥10॥
रचिबेको
बिधि जैसे, पालिबेको हरि, हर
मीच मारिबेको,ज्याइबेको सुधापान भो।
धरिबेको
धरनि, तरनि तम दलिबेको,
सोखिबे कृसानु, पोषिबेको हिम-भानु भो॥
खल-दुख-दोषिबेको,
जन-परितोषिबेको,
माँगिबो मलीनताको मोदक सुदान भो।
आरतकी आरति
निवारेबेको तिहूँ पुर,
तुलसीको साहेब हठीलो हनुमान भो ॥11॥
सेवक
स्योकाई जानि जानकीस मानै कानि,
सानुकूल सूलपानि नवै नाथ नाँकको।
देवी
देव दानव दयावने ह्वै जोरैं हाथ,
बापुरे बराक कहा और राजा राँकको॥
जागत
सोवत बैठे बागत बिनोद मोद,
ताकै जो अनर्थ सो समर्थ एक आँकको।
सब दिन
रूरो परै पूरो जहाँ-तहाँ ताहि,
जाके है भरोसो हिये हनुमान हाँकको ॥12॥
सानुग
सगौरि सानुकूल सूलपानि ताहि,
लोकपाल सकल लखन राम जानकी।
लोक परलोकको
बिसोक सो तिलोक ताहि,
तुलसी तमाइ कहा काहू बीर आनकी॥
केसरीकिसोर
बंदी छोरके नेवाजे सब,
कीरति बिमल कपि करुनानिधानकी।
बालक-ज्यौँ
पालिहैं कृपालु मुनि सिद्ध ताको,
जाके हिये हुलसति हाँक हनुमानकी ॥13॥
करुना
निधान, बलबुद्धिके निधान, मोद-
महिमानिधान, गुन-ज्ञानके निधान हौ।
बामदेव-रूप,
भूप रामके सनेही, नाम
लेत-देत अर्थ धर्म काम निरबान हौ॥
आपने
प्रभाव, सीतानाथके सुभाव सील,
लोक-बेद-बिधिके बिदुष हनुमान हौ।
मनकी,
बचनकी, करमकी तिहूँ प्रकार,
तुलसी तिहारो तुम साहेब सुजान हौ ॥14॥
मनको
अगम, तन सुगम किये कपीस,
काज महाराजके समाज साज साजे हैं।
देव-बंदीछोर
रनरोर केसरीकिसोर,
जुग-जुग जग तेरे बिरद बिराजे हैं॥
बीर बरजोर, घटि
जोर तुलसीकी ओर
सुनि सकुचाने साधु, खलगन गाजे हैं।
बिगरी सँवार
अंजनीकुमार कीजे मोहिं,
जैसे होत आये हनुमान निवाजे हैं ॥15॥
॥ सवैया ॥
जानसिरोमनि हौ हनुमान सदा जनके मन बास तिहारो।
ढारो बिगारो
मैं काको कहा केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो॥
साहेब सेवक नाते ते हातो
कियो सो तहाँ तुलसीको न चारो।
दोष सुनाये तें आगेहुँको होशियार ह्वै हों
मन तौ हिय हारो ॥16॥
तेरे थपे उथपै न महेस, थपै थिरको कपि जे
घर घाले।
तेरे निवाजे गरीबनिवाज बिराजत बैरिनके उर साले॥
संकट सोच
सबै तुलसी लिये नाम फटै मकरीके-से जाले।
बूढ़ भये, बलि, मेरिहि बार, कि
हारि परे बहुतै नत पाले ॥17॥
सिंधु तरे, बड़े बीर दले खल,
जारे हैं लंकसे बंक मवा से।
तैं रन-केहरि केजरिके बिदले अरि-कुंजर छैल छवा
से॥
तोसों समत्थ सुसाहेब सी सहै तुलसी दुख दोष दवासे।
बानर बाज बढ़े
खल-खेचर, लीजत क्यों न लपेति लवा-से ॥18॥
अच्छ-बिमर्दन
कानन-भानि दसानन आनन भा न निहारो।
बारिदनाद अकंपन कुंभकरन्न-से कुंझर
केहरि-बारो॥
राम-प्रताप-हुतासन, कच्छ, बिपच्छ, समीर समीरदुलारो।
पापतें,
सापतें, ताप तिहूँतें सदा तुलसी कहँ सो रखवारो ॥19॥
॥ घनाक्षरी ॥
जानत जहान हनुमानको निवाज्यौ जन,
मन अनुमानि, बलि, बोल
न बिसारिये।
सेवा-जग तुलसी कबहुँ कहा चूक परी,
साहेब सुभाव कपि
साहिबी संभारिये॥
अपराधी जानि कीजै सासति सहस भाँति,
मोदक मरै जो,
ताहि माहुर न मारिये।
साहसी समीरके दुलारे रघुबीरजूके,
बाँह पीर
महाबीर बेगि ही निवारिये ॥20॥
बालक बिलोकि, बलि, बारेतें
आपनो कियो,
दीनबंधु दया कीन्हीं निरुपाधि न्यारिये।
रावरो भरोसो
तुलसीके, रावरोई बल,
आस रावरीयै, दास रावरो बिचारिये॥
बड़ो बिकराल
कलि, काको न बिहाल कियो,
माथे पगु बलीको, निहारि सो निवारिये।
केसरीकिसोर,
रनरोर, बरजोर बीर,
बाँहुपीर राहुमातु ज्यौँ पछारि मारिये ॥21॥
उथपे
थपनथिर थपे उथपनहार,
केसरीकुमार बल आपनो सँभारिये।
रामके गुलामनिको
कामतरु रामदूत,
मोसे दीन दूबरेको तकिया तिहारिये॥
साहेब समर्थ तोसों
तुलसीके माथे पर,
सोऊ अपराध बिनु बीर, बाँधि मारिये।
पोखरी बिसाल
बाँहु, बलि बारिचर पीर,
मकरी ज्यौँ पकरिकै बदन बिदारिये ॥22॥
रामको
सनेह, राम साहस लखन सिय,
रामकी भगति, सोच संकट निवारिये।
मुद-मरकट
रोग-बारिनिधि हेरि हारे,
जीव-जामवंतको भरोसो तेरो भारिये॥
कूदिये
कृपाल तुलसी ससुप्रेम-पब्बयतें,
सुथल सुबेल भालु बैठिकै बिचारिये।
महाबीर
बाँकुरे बराकी बाँहपीर क्यों न,
लंकिनी ज्यों लातघार ही मरोरि
मारिये ॥23॥
लोक-परलोकहूँ तिसोक न बिलोकियत,
तोसे समरथ
चष चारिहूँ निहारिये।
कर्म, काल, लोकपाल, अग-जग जीवजाल,
नाथ हाथ सब
निज महिमा बिचारिये॥
खास दास रावरो, निवास तेरो तासु उर,
तुलसी सो
देव दुखी देखियत भारिये।
बात तरुमूल बाँहुसूल कपिकच्छु-बेलि,
उपजी
सकेलि कपिकेलि ही उखारिये ॥24॥
करम-कराल-कंस भूमिपालके
भरोसे,
बकी बकभगिनी काहूतें कहा डरैगी।
बड़ी बिकराल बालघातिनी न जात
कहि,
बाँहुबल बालक छबीले छोटे छरैगी॥
आई है बनाइ बेष आप ही बिचारि
देख,
पाप जाय सबको गुनीके पाले परैगी।
पूतना पिसाचिनी ज्यौँ कपिकान्ह
तुलसीकी,
बाँहपीर महाबीर, तेरे मारे मरैगी ॥25॥
भालकी
कि कालकी कि रोषकी त्रिदोषकी है,
बेदन बिषम पाप-ताप छलछाँहकी।
करमन
कूटकी कि जंत्रमंत्र बूटकी,
पराहि जाहि पापिनी मलीन मनमाँहकी॥
पैहहि
सजाय नत कहत बजाय तोहि,
बावरी न होहि बानि जानि कपिनाँहकी।
आन
हनुमानकी दोहाई बलवानकी,
सपथ महाबीरकी जो रहै पीर बाँहकी ॥26॥
सिंहिका
सँहारि बल, सुरसा सुधारि छल,
लंकिनी पछारि मारि बाटिका उजारी है।
लंक
परजारि मकरी बिदारि बारबार,
जातुधान धारि धूरिधानी करि डारी है॥
तोरि
जमकातरि मदोदरि कढ़ोरि आनी,
रावनकी रानी मेघनाद महँतारी है।
भीर
बाँहपीरकी निपट राखी महाबीर,
कौनके सकोच तुलसीके सोच भारी है ॥27॥
तेरो
बालकेलि बीर सुनि सहमत धीर,
भूलत सरीरसुधि सक्र-रबि-राहुकी।
तेरी
बाँह बसत बिसोक लोकपाल सब,
तेरो नाम लेत रहै आरति न काहुकी॥
साम दान
भेद बिधि बेदहू लबेद सिधि,
हाथ कपिनाथहीके चोटी चोर साहुकी।
आलस अनख
परिहासकै सिखावन है,
एते दिन रही पीर तुलसीके बाहुकी ॥28॥
टूकनिको
घर-घर डोलत कँगाल बोलि,
बाल ज्यौं कृपाल नतपाल पालि पोसो है।
कीन्ही
है सँभार सार अंजनीकुमार बीर,
आपनो बिसारिकैं न मेरेहू भरोसो है॥
इतनो
परेखो सब भाँति समरथ आजु,
कपिराज साँची कहौँ को तिलोक तोसो है।
सासति
सहत दास कीजे पेखि परिहास,
चीरीको मरन खेल बालकनिको सो है ॥29॥
आपने
ही पापतें त्रितापतें कि सापतें,
बढ़ी है बाँहबेदन कही न सहि जाति है।
औषध
अनेक जंत्र-मंत्र-टोटकादि किये,
बादि भये देवता मनाये अधिकाति है॥
करतार,
भरतार, हरतार, कर्म, काल,
को है जगजाल जो न मानत इताति है।
चेरो तेरो
तुलसी तू मेरो कह्यो रामदूत,
ढील तेरी बीर मोहि पीरतें पिराति है ॥30॥
दूत
रामरायको, सपूत पूत बायको,
समत्थ हाथ पायको सहाय असहायको।
बाँकी
बिरदावली बिदित बेद गाइयत,
रावन सो भट भयो मुठिकाके घायको॥
एते बड़े
साहेब समर्थको निवाजो आज,
सीदत सुसेवक बचन मन कायको।
थोरी बाँहपीरकी
बड़ी गलानि तुलसीको,
कौन पाप कोप, लोप प्रगट प्रभायको ॥31॥
देवी
देव दनुज मनुज मुनि सिद्ध नाग,
छोटे बड़े जीव जेते चेतन अचेत हैं।
पूतना
पिसाची जातुधानी जातुधान बाम,
रामदूतकी रजाइ माथे मानि लेत हैं॥
घोर
जंत्र मंत्र कूट कपट कुरोग जोग,
हनूमान आन सुनि छाड़त निकेत हैं।
क्रोध
कीजे कर्मको प्रबोध कीजे तुलसीको,
सोध कीजे तिनको जो दोष दुख देत
हैं ॥32॥
तेरे बल बानर जिताये रन रावनसों ,
तेरे घाले
जातुधन भये घर-घरके।
तेरे बल रामराज किये सब सुरकाज,
सकल समाज साज
साजे रघुबरके॥
तेरो गुनगान सुनि गीरबान पुलकत,
सजल बिलोचन बिरंचि
हरि हरके।
तुलसीके माथेपर हाथ फेरो कीसनाथ,
देखिये न दास दुखी तोसे
कनिगरके ॥33॥
पालो तेरे टूकको परेहू चूक मूकिये न,
कूर
कौड़ी दूको हौं आपनी ओर हेरिये।
भोरानाथ भोरेही सरोष होत थोरे दोष,
पोषि
तोषि थापि आपनो न अवडेरिये॥
अंबु तू हौं अंबुचर, अंब तू हौं डिंभ, सो
न,
बूझिये बिलंब अवलंब मेरे तेरिये।
बालक बिकल जानि पाहि प्रेम
पहिचानि,
तुलसीकी बाँह पर लामीलूम फेरिये ॥34॥
घेरि
लियो रोगनि कुजोगनि कुलोगनि ज्यौं,
बासर जलद घन घटा धुकि धाई है।
बरसत
बारि पीर जारिये जवासे जस,
रोष बिनु दोष, धूम-मूल मलिनाई है॥
करुनानिधान
हनुमान महाबलवान,
हेरि हँसि हाँकि फूँकि फौजें तैं उड़ाई है।
खाये
हुतो तुलसी कुरोग राढ़ राकसनि,
केसरीकिसोर राखे बीर बरिआई है ॥35॥
॥ सवैया ॥
रामगुलाम तुही हनुमान
गोसाँइ सुसाँइ सदा अनुकूलो।
पाल्यो
हौं बाल ज्यों आखर दू
पितु मातु सों मंगल मोद समूलो॥
बाँहकी बेदन
बाँहपगार
पुकारत आरत आनँद भूलो।
श्रीरघुबीर निवारिये पीर
रहौं
दरबार परो लटि लूलो ॥36॥
॥ घनाक्षरी ॥
कालकी
करालता करम कठिनाई कीधौं,
पापके प्रभावकी सुभाय बाय बावरे।
बेदन
कुभाँति सो सही न जाति राति दिन,
सोई बाँह गही जो गही समीरडावरे॥
लायो
तरु तुलसी तिहारो सो निहारि बारि,
सींचिये मलीन भो तयो है तिहूँ तावरे।
भूतनिकी
आपनी परायेकी कृपानिधान,
जानियत सबहीकी रीति राम रावरे ॥37॥
पायँपीर
पेटपीर बाँहपीर मुँहपीर,
जरजर सकल सरीर पीरमई है।
देव भूत पितर करम
खल काल ग्रह,
मोहिपर दवरि दमानक सी दई है॥
हौं तो बिन मोलके बिकानो
बलि बारेही तें,
ओट रामनामकी ललाट लिखि लई है।
कुंभजके किंकर बिकल
बूड़े गोखुरनि,
हाय रामराय ऎसी हाल कहूँ भई है ॥38॥
बाहुक-सुबाहु
नीच लीचर-मरीच मिलि,
मुँहपीर-केतुजा कुरोग जातुधान हैं।
राम नाम
जगजाप कियो चहों सानुराग,
काल कैसे दूत भूत कहा मेरे मान हैं॥
सुमिरे
सहाय रामलखन आखर दोऊ,
जिनके समूह साके जागत जहान हैं।
तुलसी सँभारि
ताड़का-सँहारि भारी भट,
बेधे बरगदसे बनाइ बानवान हैं ॥39॥
बालपने
सूधे मन राम सनमुख भयो,
रामनाम लेत माँगि खात टूकटाक हौं।
परयो
लोकरीतिमें पुनीत प्रीति रामराय,
मोहबस बैठो तोरि तरकितराक हौं॥
खोटे-खोटे
आचरन आचरन अपनायो,
अंजनीकुमार सोध्यो रामपानि पाक हौं।
तुलसी गोसाइँ
भयो भोंड़े दिन भूलि गयो,
ताको फल पावत निदान परिपाक हौं ॥40॥
असन-बसन-हीन
बिषम-बिषाद-लीन,
देखि दीन दूबरो करै न हाय-हाय को।
तुलसी अनाथसो सनाथ
रघुनाथ कियो,
दियो फल सीलसिंधु आपने सुभायको॥
नीच यही बीच पति पाइ
भरुहाइगो,
बिहाइ प्रभु-भजन बचन मन कायको।
तातें तनु पेषियत घोर बरतोर
मिस,
फूटि-फूटि निकसत लोन रामरायको ॥41॥
जिओं जग
जानकीजीवनको कहाइ जन,
मरिबेको बारानसी बारि सुरसरिको।
तुलसीके दुहूँ
हाथ मोदक है ऎसे ठाउँ,
जाके जिये मुये सोच करिहैं न लरिको॥
मोको
झूठो साँचो लोग रामको कहत सब,
मेरे मन मान है न हरको न हरिको।
भारी
पीर दुसह सरीरतें बिहाल होत,
सोऊ रघुबीर बिनु सकै दूर करिको ॥42॥
सीतापति
साहेब सहाय हनुमान नित,
हित उपदेसको महेस मानो गुरुकै।
मानस बचन काय
सरन तिहारे पाँय,
तुम्हरे भरोसे सुर मैं न जाने सुरकै॥
ब्याधि
भूतजनित उपाधि काहू खलकी,
समाधि कीजे तुलसीको जानि जन फुरकै।
कपिनाथ
रघुनाथ भोलानाथ भूतनाथ,
रोगसिंधु क्यों न डारियत गाय खुरकै ॥43॥
कहों
हनुमानसों सुजान रामरायसों,
कृपानिधान संकरसों सावधान सुनिये।
हरष
विषाद राग रोष गुन दोषमई,
बिरचो बिरंचि सब देखियत दुनिये॥
माया जीव
कालके करमके सुभायके,
करैया राम बेद कहैं साँची मन गुनिये।
तुम्हतें
कहा न होय हाहा सो बुझैये मोहि,
हौं हूँ रहों मौन ही बयो सो जानि
लुनिये ॥44॥
Shri Hanuman Bahuk |
Hanuman Bahuk Lyrics
॥ Chhappay ॥
Sindhu-taran, siy-soch-haran, rabi-baalabaran-tanu.
Bhuj bisaal, muurati karaal kaalahuko kaal janu॥
Gahan-dahan-niradahan-lank ni:sank, bank-bhuva.
Jaatudhaan-balavaan-maan-mad-davan pavanasuva॥
Kah tulasidaas sevat sulabh, sevak hit santat nikaṭa.
Gunaganat, namat, sumirat, japat, saman sakal-sankaṭ-bikaṭ ॥1॥
Svarn-sail-sankaas koṭi-rabi-tarun-tej-ghana.
Ur bisaal, bhujadaṇḍ chanḍ nakh bajr bajratana॥
Ping nayan, bhṛkuṭii karaal rasanaa dasanaanana.
Kapis kes, karakas languur, khal-dal bal bhaanana॥
Kah tulasidaas bas jaahu ur maarutasut muurati bikaṭa.
santaap paap tehi purush pahin sapanehuun nahin aavat nikaṭ ॥2॥
॥ Jhuulanaa ॥
panchamukh-chhamukh-bhṛgumukhy bhaṭ-asur-sur,
sarv-sari-samat samaratth suro.
baankuro biir birudait birudaavalii,
bed bandii badat paijapuuro॥
jaasu gunagaath raghunaath kah, jaasu bal,
bipul-jal-bharit jag-jaladhi jhuurii.
duvan-dal-damanako kown tulasiis hai
pavanako puut rajapuut ruuro ॥3॥
॥ Ghanaaksharii ॥
bhaanuson padhan hanumaan gaye bhaanu man,
anumaani sisukeli kiyo pheraphaar so.
paachhile pagani gam gagan magan-man,
kramako n bhram, kapi baalak-bihaar so॥
kowtuk biloki lokapaal hari har bidhi
lochanani chakaachowndhii chittani khabhaar so
bal kaidhown biiraras, dhiiraj kai, saahas kai,
tulasii sariir dhare sabaniko saar so ॥4॥
bhaarat men paarath ke rathaketu kapiraaj,
gaajyo suni kururaaj dal halabal bho.
kahyo dron bhiisham samiirasut mahaabiir,
biir-ras-baari-nidhi jaako bal jal bho॥
baanar subhaay baalakeli bhuumi bhaanu laagi,
phalang phalaangahanten ghaati nabhatal bho.
naai-naai maath jori-jori haath jodhaa johain,
hanumaan dekhe jagajiivan ko phal bho ॥5॥
gopad payodhi kari holikaa jyon laaii lank,
nipaṭ nisank parapur galabal bho.
dron-so pahaar liyo khyaal hii ukhaari kar,
kanduk-jyon kapikhel bel kaiso phal bho॥
sankaṭasamaaj asamjhas bho raamaraaj
kaaj jug-puuganiko karatal pal bho.
saahasii samatth tulasiiko naah jaakii baanh,
lokapaal paalanako phir thir thal bho॥6॥
kamaṭhakii piiṭhi jaake godanikii gaadai maano
naapake bhaajan bhari jalanidhi-jal bho.
jaatudhaan-daavan paraavanako durg bhayo,
mahaamiinabaas timi tomaniko thal bho॥
kunbhakarn-raavan-payodanaad-iindhanako
tulasii prataap jaako prabal anal bho.
bhiisham kahat mere anumaan hanumaan
saarikho trikaal n trilok mahaabal bho ॥7॥
duut raamaraayako, sapuut puut pownako, tuu
amjaniiko nandan prataap bhuuri bhaanu so.
siiy-soch-saman, durit-dosh-daman,
saran aaye avan, lakhanapriy praan so॥
dasamukh dusah daridr daribeko bhayo,
prakaṭ tilok ok tulasii nidhaan so.
jñaan-gunavaan balavaan sevaa saavadhaan,
saaheb sujaan ur aanu hanumaan so ॥8॥
davan-duvan-dal bhuvan-bidit bal,
bed jas gaavat bibudh bandiichhor ko.
paap-taap-timir tuhin-vighaṭan-paṭu,
sevak-saroruh sukhad bhaanu bhorako॥
lok-paralok ten bisok sapane n sok,
tulasiike hiye hai bharoso ek orako.
raamako dulaaro daas baamadevako nivaas,
naam kali-kaamataru kesarii-kisor ko ॥9॥
mahaabal-siim, mahaabhiim, mahaabaanait,
mahaabiir bidit baraayo raghubiirako.
kulis-kaṭhoratanu joraparai ror ran,
karunaa-kalit man dhaaramik dhiir ko॥
durjanako kaalaso karaal paal sajjan ko,
sumire haranahaar tulasiikii piirako.
siiy-sukhadaayak dulaaro raghunaayakako,
sevak sahaayak hai saahasii samiirako ॥10॥
rachibeko bidhi jaise, paalibeko hari, har
miich maaribeko,jyaaibeko sudhaapaan bho.
dharibeko dharani, tarani tam dalibeko,
sokhibe kṛsaanu, poshibeko him-bhaanu bho॥
khal-dukh-doshibeko, jan-paritoshibeko,
maangibo maliinataako modak sudaan bho.
aaratakii aarati nivaarebeko tihuun pur,
tulasiiko saaheb haṭhiilo hanumaan bho ॥11॥
sevak syokaaii jaani jaanakiis maanai kaani,
saanukuul suulapaani navai naath naankako.
devii dev daanav dayaavane hvai jorain haath,
baapure baraak kahaa owr raajaa raankako॥
jaagat sovat baiṭhe baagat binod mod,
taakai jo anarth so samarth ek aankako.
sab din ruuro parai puuro jahaan-tahaan taahi,
jaake hai bharoso hiye hanumaan haankako ॥12॥
saanug sagowri saanukuul suulapaani taahi,
lokapaal sakal lakhan raam jaanakii.
lok paralokako bisok so tilok taahi,
tulasii tamaai kahaa kaahuu biir aanakii॥
kesariikisor bandii chhorake nevaaje sab,
kiirati bimal kapi karunaanidhaanakii.
baalak-jyowan paalihain kṛpaalu muni siddh taako,
jaake hiye hulasati haank hanumaanakii ॥13॥
karunaa nidhaan, balabuddhike nidhaan, mod-
mahimaanidhaan, gun-jñaanake nidhaan how.
baamadev-ruup, bhuup raamake sanehii, naam
let-det arth dharm kaam nirabaan how॥
aapane prabhaav, siitaanaathake subhaav siil,
lok-bed-bidhike bidush hanumaan how.
manakii, bachanakii, karamakii tihuun prakaar,
tulasii tihaaro tum saaheb sujaan how ॥14॥
manako agam, tan sugam kiye kapiis,
kaaj mahaaraajake samaaj saaj saaje hain.
dev-bandiichhor ranaror kesariikisor,
jug-jug jag tere birad biraaje hain॥
biir barajor, ghaṭi jor tulasiikii or
suni sakuchaane saadhu, khalagan gaaje hain.
bigarii sanvaar amjaniikumaar kiije mohin,
jaise hot aaye hanumaan nivaaje hain ॥15॥
॥ Savaiyaa ॥
jaanasiromani how hanumaan sadaa janake man baas tihaaro.
ḍhaaro bigaaro main kaako kahaa kehi kaaran khiijhat hown to tihaaro॥
saaheb sevak naate te haato kiyo so tahaan tulasiiko n chaaro.
dosh sunaaye ten aagehunko hoshiyaar hvai hon man tow hiy haaro ॥16॥
tere thape uthapai n mahes, thapai thirako kapi je ghar ghaale.
tere nivaaje gariibanivaaj biraajat bairinake ur saale॥
sankaṭ soch sabai tulasii liye naam phaṭai makariike-se jaale.
buudh bhaye, bali, merihi baar, ki haari pare bahutai nat paale ॥17॥
sindhu tare, bade biir dale khal, jaare hain lankase bank mavaa se.
tain ran-kehari kejarike bidale ari-kunjar chhail chhavaa se॥
toson samatth susaaheb sii sahai tulasii dukh dosh davaase.
baanar baaj badhe khal-khechar, liijat kyon n lapeti lavaa-se ॥18॥
achchh-bimardan kaanan-bhaani dasaanan aanan bhaa n nihaaro.
baaridanaad akampan kunbhakarann-se kunjhar kehari-baaro॥
raam-prataap-hutaasan, kachchh, bipachchh, samiir samiiradulaaro.
paapaten, saapaten, taap tihuunten sadaa tulasii kahan so rakhavaaro ॥19॥
॥ Ghanaaksharii ॥
jaanat jahaan hanumaanako nivaajyow jan,
man anumaani, bali, bol n bisaariye.
sevaa-jag tulasii kabahun kahaa chuuk parii,
saaheb subhaav kapi saahibii sambhaariye॥
aparaadhii jaani kiijai saasati sahas bhaanti,
modak marai jo, taahi maahur n maariye.
saahasii samiirake dulaare raghubiirajuuke,
baanh piir mahaabiir begi hii nivaariye ॥20॥
baalak biloki, bali, baareten aapano kiyo,
diinabandhu dayaa kiinhiin nirupaadhi nyaariye.
raavaro bharoso tulasiike, raavaroii bal,
aas raavariiyai, daas raavaro bichaariye॥
bado bikaraal kali, kaako n bihaal kiyo,
maathe pagu baliiko, nihaari so nivaariye.
kesariikisor, ranaror, barajor biir,
baanhupiir raahumaatu jyowan pachhaari maariye ॥21॥
uthape thapanathir thape uthapanahaar,
kesariikumaar bal aapano sanbhaariye.
raamake gulaamaniko kaamataru raamaduut,
mose diin duubareko takiyaa tihaariye॥
saaheb samarth toson tulasiike maathe par,
souu aparaadh binu biir, baandhi maariye.
pokharii bisaal baanhu, bali baarichar piir,
makarii jyowan pakarikai badan bidaariye ॥22॥
raamako saneh, raam saahas lakhan siy,
raamakii bhagati, soch sankaṭ nivaariye.
mud-marakaṭ rog-baarinidhi heri haare,
jiiv-jaamavantako bharoso tero bhaariye॥
kuudiye kṛpaal tulasii sasuprem-pabbayaten,
suthal subel bhaalu baiṭhikai bichaariye.
mahaabiir baankure baraakii baanhapiir kyon n,
lankinii jyon laataghaar hii marori maariye ॥23॥
lok-paralokahuun tisok n bilokiyat,
tose samarath chash chaarihuun nihaariye.
karm, kaal, lokapaal, ag-jag jiivajaal,
naath haath sab nij mahimaa bichaariye॥
khaas daas raavaro, nivaas tero taasu ur,
tulasii so dev dukhii dekhiyat bhaariye.
baat tarumuul baanhusuul kapikachchhu-beli,
upajii sakeli kapikeli hii ukhaariye ॥24॥
karam-karaal-kams bhuumipaalake bharose,
bakii bakabhaginii kaahuuten kahaa ḍaraigii.
badii bikaraal baalaghaatinii n jaat kahi,
baanhubal baalak chhabiile chhoṭe chharaigii॥
aaii hai banaai besh aap hii bichaari dekh,
paap jaay sabako guniike paale paraigii.
puutanaa pisaachinii jyowan kapikaanh tulasiikii,
baanhapiir mahaabiir, tere maare maraigii ॥25॥
bhaalakii ki kaalakii ki roshakii tridoshakii hai,
bedan bisham paap-taap chhalachhaanhakii.
karaman kuuṭakii ki jantramantr buuṭakii,
paraahi jaahi paapinii maliin manamaanhakii॥
paihahi sajaay nat kahat bajaay tohi,
baavarii n hohi baani jaani kapinaanhakii.
aan hanumaanakii dohaaii balavaanakii,
sapath mahaabiirakii jo rahai piir baanhakii ॥26॥
sinhikaa sanhaari bal, surasaa sudhaari chhal,
lankinii pachhaari maari baaṭikaa ujaarii hai.
lank parajaari makarii bidaari baarabaar,
jaatudhaan dhaari dhuuridhaanii kari ḍaarii hai॥
tori jamakaatari madodari kadhori aanii,
raavanakii raanii meghanaad mahantaarii hai.
bhiir baanhapiirakii nipaṭ raakhii mahaabiir,
kownake sakoch tulasiike soch bhaarii hai ॥27॥
tero baalakeli biir suni sahamat dhiir,
bhuulat sariirasudhi sakr-rabi-raahukii.
terii baanh basat bisok lokapaal sab,
tero naam let rahai aarati n kaahukii॥
saam daan bhed bidhi bedahuu labed sidhi,
haath kapinaathahiike choṭii chor saahukii.
aalas anakh parihaasakai sikhaavan hai,
ete din rahii piir tulasiike baahukii ॥28॥
ṭuukaniko ghar-ghar ḍolat kangaal boli,
baal jyown kṛpaal natapaal paali poso hai.
kiinhii hai sanbhaar saar amjaniikumaar biir,
aapano bisaarikain n merehuu bharoso hai॥
itano parekho sab bhaanti samarath aaju,
kapiraaj saanchii kahowan ko tilok toso hai.
saasati sahat daas kiije pekhi parihaas,
chiiriiko maran khel baalakaniko so hai ॥29॥
aapane hii paapaten tritaapaten ki saapaten,
badhii hai baanhabedan kahii n sahi jaati hai.
owshadh anek jantr-mantr-ṭoṭakaadi kiye,
baadi bhaye devataa manaaye adhikaati hai॥
karataar, bharataar, harataar, karm, kaal,
ko hai jagajaal jo n maanat itaati hai.
chero tero tulasii tuu mero kahyo raamaduut,
ḍhiil terii biir mohi piiraten piraati hai ॥30॥
duut raamaraayako, sapuut puut baayako,
samatth haath paayako sahaay asahaayako.
baankii biradaavalii bidit bed gaaiyat,
raavan so bhaṭ bhayo muṭhikaake ghaayako॥
ete bade saaheb samarthako nivaajo aaj,
siidat susevak bachan man kaayako.
thorii baanhapiirakii badii galaani tulasiiko,
kown paap kop, lop pragaṭ prabhaayako ॥31॥
devii dev danuj manuj muni siddh naag,
chhoṭe bade jiiv jete chetan achet hain.
puutanaa pisaachii jaatudhaanii jaatudhaan baam,
raamaduutakii rajaai maathe maani let hain॥
ghor jantr mantr kuuṭ kapaṭ kurog jog,
hanuumaan aan suni chhaadat niket hain.
krodh kiije karmako prabodh kiije tulasiiko,
sodh kiije tinako jo dosh dukh det hain ॥32॥
tere bal baanar jitaaye ran raavanason ,
tere ghaale jaatudhan bhaye ghar-gharake.
tere bal raamaraaj kiye sab surakaaj,
sakal samaaj saaj saaje raghubarake॥
tero gunagaan suni giirabaan pulakat,
sajal bilochan biranchi hari harake.
tulasiike maathepar haath phero kiisanaath,
dekhiye n daas dukhii tose kanigarake ॥33॥
paalo tere ṭuukako parehuu chuuk muukiye n,
kuur kowdii duuko hown aapanii or heriye.
bhoraanaath bhorehii sarosh hot thore dosh,
poshi toshi thaapi aapano n avaḍeriye॥
ambu tuu hown ambuchar, amb tuu hown ḍinbh, so n,
buujhiye bilamb avalamb mere teriye.
baalak bikal jaani paahi prem pahichaani,
tulasiikii baanh par laamiiluum pheriye ॥34॥
gheri liyo rogani kujogani kulogani jyown,
baasar jalad ghan ghaṭaa dhuki dhaaii hai.
barasat baari piir jaariye javaase jas,
rosh binu dosh, dhuum-muul malinaaii hai॥
karunaanidhaan hanumaan mahaabalavaan,
heri hansi haanki phuunki phowjen tain udaaii hai.
khaaye huto tulasii kurog raadh raakasani,
kesariikisor raakhe biir bariaaii hai ॥35॥
॥ Savaiyaa ॥
raamagulaam tuhii hanumaan
gosaani susaani sadaa anukuulo.
paalyo hown baal jyon aakhar duu
pitu maatu son mangal mod samuulo॥
baanhakii bedan baanhapagaar
pukaarat aarat aanand bhuulo.
shriiraghubiir nivaariye piir
rahown darabaar paro laṭi luulo ॥36॥
॥ Ghanaaksharii ॥
kaalakii karaalataa karam kaṭhinaaii kiidhown,
paapake prabhaavakii subhaay baay baavare.
bedan kubhaanti so sahii n jaati raati din,
soii baanh gahii jo gahii samiiraḍaavare॥
laayo taru tulasii tihaaro so nihaari baari,
siinchiye maliin bho tayo hai tihuun taavare.
bhuutanikii aapanii paraayekii kṛpaanidhaan,
jaaniyat sabahiikii riiti raam raavare ॥37॥
paayanpiir peṭapiir baanhapiir munhapiir,
jarajar sakal sariir piiramaii hai.
dev bhuut pitar karam khal kaal grah,
mohipar davari damaanak sii daii hai॥
hown to bin molake bikaano bali baarehii ten,
oṭ raamanaamakii lalaaṭ likhi laii hai.
kunbhajake kinkar bikal buude gokhurani,
haay raamaraay ऎsii haal kahuun bhaii hai ॥38॥
baahuk-subaahu niich liichar-mariich mili,
munhapiir-ketujaa kurog jaatudhaan hain.
raam naam jagajaap kiyo chahon saanuraag,
kaal kaise duut bhuut kahaa mere maan hain॥
sumire sahaay raamalakhan aakhar douu,
jinake samuuh saake jaagat jahaan hain.
tulasii sanbhaari taadakaa-sanhaari bhaarii bhaṭ,
bedhe baragadase banaai baanavaan hain ॥39॥
baalapane suudhe man raam sanamukh bhayo,
raamanaam let maangi khaat ṭuukaṭaak hown.
parayo lokariitimen puniit priiti raamaraay,
mohabas baiṭho tori tarakitaraak hown॥
khoṭe-khoṭe aacharan aacharan apanaayo,
amjaniikumaar sodhyo raamapaani paak hown.
tulasii gosaain bhayo bhonde din bhuuli gayo,
taako phal paavat nidaan paripaak hown ॥40॥
asan-basan-hiin bisham-bishaad-liin,
dekhi diin duubaro karai n haay-haay ko.
tulasii anaathaso sanaath raghunaath kiyo,
diyo phal siilasindhu aapane subhaayako॥
niich yahii biich pati paai bharuhaaigo,
bihaai prabhu-bhajan bachan man kaayako.
taaten tanu peshiyat ghor barator mis,
phuuṭi-phuuṭi nikasat lon raamaraayako ॥41॥
jion jag jaanakiijiivanako kahaai jan,
maribeko baaraanasii baari surasariko.
tulasiike duhuun haath modak hai ऎse ṭhaaun,
jaake jiye muye soch karihain n lariko॥
moko jhuuṭho saancho log raamako kahat sab,
mere man maan hai n harako n hariko.
bhaarii piir dusah sariiraten bihaal hot,
souu raghubiir binu sakai duur kariko ॥42॥
siitaapati saaheb sahaay hanumaan nit,
hit upadesako mahes maano gurukai.
maanas bachan kaay saran tihaare paany,
tumhare bharose sur main n jaane surakai॥
byaadhi bhuutajanit upaadhi kaahuu khalakii,
samaadhi kiije tulasiiko jaani jan phurakai.
kapinaath raghunaath bholaanaath bhuutanaath,
rogasindhu kyon n ḍaariyat gaay khurakai ॥43॥
kahon hanumaanason sujaan raamaraayason,
kṛpaanidhaan sankarason saavadhaan suniye.
harash vishaad raag rosh gun doshamaii,
biracho biranchi sab dekhiyat duniye॥
maayaa jiiv kaalake karamake subhaayake,
karaiyaa raam bed kahain saanchii man guniye.
tumhaten kahaa n hoy haahaa so bujhaiye mohi,
hown huun rahon mown hii bayo so jaani luniye ॥44॥