250+ Bhagavad Gita Quotes in Hindi | भगवत गीता के अनमोल वचन

Bhagavad Gita Quotes in Hindi: श्रीमद भगवद्गीता हिंदुओं का प्रमुख धर्म ग्रंथ है, इसमें भगवान श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को दिये गए धर्म और कर्म से संबन्धित उपदेश हैं। 

महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण ने गीता के माध्यम से ही अर्जुन को सही पथ प्रदर्शित किया था, जिससे वह मोह त्यागकर युद्ध में सम्मिलित हो सके और अपने कर्म पर ध्यान केन्द्रित कर सके। 

आज के समय में भी भगवत गीता के अनमोल वचन, मनुष्य के लिए पथ प्रदर्शक ही सिद्ध होते हैं। आपको इन Bhagavad Gita Quotes in Hindi को अवश्य पढ़ना चाहिए। साथ ही आपको अपने जीवन में भी अपनाना चाहिए। 

Bhagavad Gita Quotes in Hindi
Bhagavad Gita Quotes in Hindi

Bhagavad Gita Quotes in Hindi | भगवत गीता के अनमोल वचन

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

हे अर्जुन! क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता है, तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।

Geeta Quotes in Hindi

फल की अभिलाषा छोडकर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वह विश्वास करता है, वैसा ही वह बन जाता है।

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गीता के अनुसार - नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच। 

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Bhagavad Gita Quotes in Hindi

हे अर्जुन! मन अशांत है, और इसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।

भागवत गीता के उपदेश

मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, अपने मन से हटा दो। फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, और जो होगा वह भी अच्छा होगा।

गीता के उपदेश, Bhagwat gita ke updesh

मैं सभी प्राणियों को एक समान रूप से देखता हूँ, मेरे लिए ना कोई कम प्रिय है ना ही ज्यादा, लेकिन जो मनुष्य मेरी प्रेम पूर्वक आराधना करते हैं, वो मेरे भीतर रहते हैं, और मैं उनके जीवन में आता हूँ। 

भगवद्गीता के अनमोल उपदेश

धरती पर जिस प्रकार मौसम बदलते रहते हैं, उसी प्रकार व्यक्ति के जीवन में भी सुख-दुख आते जाते रहते हैं। 

Bhagavad Gita Quotes

भगवत गीता के अनमोल वचन

जीवन न तो भविष्य में है, न अतीत में है, जीवन तो बस इस पल (वर्तमान) में है। 

Bhagavad Gita Quotes in Hindi with Meaning

कोई भी व्यक्ति जो चाहे वह बन सकता है, यदि वह व्यक्ति एक विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे। 

Bhagavad Gita Quotes in Hindi meaning

जो लोग अपने मन को नियंत्रित नहीं करते हैं, उनके लिए वह शत्रु के समान काम करता है।

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सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है, और ना ही परलोक में।

हे अर्जुन ! तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो, तुम क्या लाए थे जो तुमने खो दिया, तुमने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया, तुमने जो लिया यहीं से लिया, जो दिया यहीं पर दिया, जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का होगा, क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है।

जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मरने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है, उस पर शोक नही करना चाहिए।

हे अर्जुन ! जो कोई भी व्यक्ति जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, में उस व्यक्ति का विश्वास उसी देवता में दृढ़ कर देता हूं।

वह व्यक्ति जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और ‘में’ और ‘मेरा’ की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है, उसे अपार शांति की प्राप्ति होती है।

जो होने वाला है वो होकर ही रहता है, और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है, उन्हें चिंता कभी नही सताती है।

समय से पहले और भाग्य से अधिक कभी किसी को कुछ नही मिलता है।

जो व्यवहार आपको दूसरों से पसंद ना हो, ऐसा व्यवहार आप दूसरों के साथ भी ना करें।

जब जब इस धरती पर पाप, अहंकार और अधर्म बढ़ेगा, तो उसका विनाश कर पुन: धर्म की स्थापना करने हेतु, में अवश्य अवतार लेता रहूंगा।

हे अर्जुन ! में भूतकाल, वर्तमान और भविष्यकाल के सभी जीवों को जानता हूं, लेकिन वास्तविकता में कोई मुझे नही जानता है।

केवल व्यक्ति का मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो, तुम अपना काम करते रहो।

मनुष्य को परिणाम की चिंता किए बिना लोभ- लालच और निस्वार्थ और निष्पक्ष होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

मानव कल्याण ही भगवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है, इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय मानव कल्याण को प्राथमिकता देना चाहिए।

मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।

अपने आपको भगवान के प्रति समर्पित कर दो, यही सबसे बड़ा सहारा है, जो कोई भी इस सहारे को पहचान गया है वह डर, चिंता और दुखो से आजाद रहता है।

न तो यह शरीर तुम्हारा है और न ही तुम इस शरीर के मालिक हो, यह शरीर 5 तत्वों से बना है – आग, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश, एक दिन यह शरीर इन्ही 5 तत्वों में विलीन हो जाएगा।

जब इंसान अपने काम में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते है।

हे अर्जुन, मैं धरती का मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम भी मैं ही हूँ।

मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है।

जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को परखती है, उसी प्रकार संकट वीर पुरुषों को।

यह सृष्टि कर्म क्षेत्र है, बिना कर्म किये यहाँ कुछ भी हासिल नहीं हो सकता।

जो दान बिना सत्कार के कुपात्र को दिया जाता है वह तमस दान कहलाता है।

जो मनुष्य जिस प्रकार से ईश्वर का स्मरण करता है उसी के अनुसार ईश्वर उसे फल देते हैं। कंस ने श्रीकृष्ण को सदैव मृत्यु के लिए स्मरण किया तो श्रीकृष्ण ने भी कंस को मृत्यु प्रदान की। अतः परमात्मा को उसी रूप में स्मरण करना चाहिए जिस रूप में मानव उन्हें पाना चाहता है।

आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो। उठो, अनुशासित रहो।

सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है। एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ संकल्प।

जिस तरह प्रकाश की ज्योति अँधेरे में चमकती है, ठीक उसी प्रकार सत्य भी चमकता है। इसलिए हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए।

अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से उनके कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ।

मनुष्य को अपने कर्मों के संभावित परिणामों से प्राप्त होने वाली विजय या पराजय, लाभ या हानि, प्रसन्नता या दुःख इत्यादि के बारे में सोच कर चिंता से ग्रसित नहीं होना चाहिए।

श्रेष्ठ पुरुष को सदैव अपने पद और गरिमा के अनुरूप कार्य करने चाहिए। क्योंकि श्रेष्ठ पुरुष जैसा व्यवहार करेंगे, तो इन्हीं आदर्शों के अनुरूप सामान्य पुरुष भी वैसा ही व्यवहार करेंगे।

जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है, क्योंकि उसने शान्ति प्राप्त कर ली है। ऐसे मनुष्य के लिए सुख-दुख, सर्दी-गर्मी और मान-अपमान एक से है।

मनुष्य का मन इन्द्रियों के चक्रव्यूह के कारण भ्रमित रहता है। जो वासना, लालच, आलस्य जैसी बुरी आदतों से ग्रसित हो जाता है। इसलिए मनुष्य का अपने मन एवं आत्मा पर पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए।


Geeta shlok with meaning in Hindi

Geeta shlok with meaning in Hindi

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥

भावार्थ- आत्मा को शस्त्र काट नहीं सकते और न अग्नि इसे जला सकती है जल इसे गीला नहीं कर सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती।

Geeta shlok with meaning in Hindi

न जायते म्रियते वा कदाचिन्ना, यं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥

भावार्थ- आत्मा किसी काल में भी न जन्मता है और न मरता है और न यह एक बार होकर फिर अभावरूप होने वाला है। आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है, शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता।

Geeta Quotes in Hindi

जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥

भावार्थ- जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है और मरने वाले का जन्म निश्चित है इसलिए जो अटल है अपरिहार्य है उसके विषय में तुमको शोक नहीं करना चाहिये।

Geeta shlok with meaning in Hindi

देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति॥

भावार्थ- जैसे इस देह में देही जीवात्मा की कुमार, युवा और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही उसको अन्य शरीर की प्राप्ति होती है। धीर पुरुष इसमें मोहित नहीं होता है।

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दु:खहा॥

भावार्थ- जो खाने, सोने, आमोद-प्रमोद तथा काम करने की आदतों में नियमित रहता है। वह योगाभ्यास द्वारा समस्त भौतिक क्लेशों को नष्ट कर सकता है।

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् ।
अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते ॥

भावार्थ- हे महाबाहो ! नि:सन्देह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है। परन्तु, हे कुन्तीपुत्र! उसे अभ्यास और वैराग्य के द्वारा वश में किया जा सकता है।

इस पोस्ट Bhagavad Gita Quotes in Hindi  में हमने भगवत गीता के सिर्फ महत्वपूर्ण अनमोल वचनो को ही साझा किया है। किसी भी त्रुटि या अन्य विषय पर आप अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से अवश्य दें। 

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