रविवार की आरती | Ravivar Vrat Aarti
Ravivar Vrat Aarti : रविवार का नाम ही भगवान सूर्य देवता के नाम पर ही पड़ा है। इसी दिन संसार को अपनी ऊर्जा से ऊर्जावान करने वाले सूर्य देवता की पूजा की जाती है। भगवान सूर्य की आराधना करने से जीवन में सुख, शांति, धन संपदा मे वृद्धि एवं शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। रविवार व्रत करने और कथा सुनने से मान-सम्मान, उत्तम स्वस्थ्य, धन इत्यादि सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
रविवार की आरती | Ravivar Vrat Aarti
कहुँ लगि आरती दास करेंगे,
सकल जगत जाकि जोति विराजे॥
सात समुद्र जाके चरण बसे,
कहा भयो जल कुम्भ भरे हो राम॥
कोटि भानु जाके नख की शोभा,
कहा भयो मन्दिर दीप धरे हो राम॥
भार उठारह रोमावलि जाके,
कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम॥
छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे,
कहा भयो नैवेघ धरे हो राम॥
अमित कोटि जाके बाजा बाजे,
कहा भयो झनकार करे हो राम॥
चार वेद जाके मुख की शोभा,
कहा भयो ब्रहम वेद पढ़े हो राम॥
शिव सनकादिक आदि ब्रहमादिक,
नारद मुनि जाको ध्यान धरें हो राम॥
हिम मंदार जाको पवन झकेरिं,
कहा भयो शिर चँवर ढुरे हो राम॥
लख चौरासी बन्दे छुड़ाये,
केवल हरियश नामदेव गाये॥
हो रामा।