श्री सन्तोषी माता जी की आरती | Santoshi mata ki Aarti


Santoshi mata ki Aarti: संतोषी माता को हिन्दू धरम में संतोष, सुख, शांति और वैभव की माता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि संतोषी माता, भगवान गणेश की पुत्री हैं। संतोषी नाम ही संतोष से बना है। संतोष का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है, अगर जीवन में संतोष ना हो तो इंसान मानसिक और शारीरिक तौर पर बेहद कमजोर हो जाता है। संतोषी माँ हमें संतोष दिला, हमारे जीवन में खुशियों का प्रवाह करती हैं। 

Santoshi mata ki Aarti

श्री सन्तोषी माता जी की आरती | Santoshi mata ki Aarti in Hindi

जय संतोषी माता मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को सुख सम्पत्ति दाता॥

सुन्दर चीर सुनहरी माँ, धारण कीन्हों।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रंगार लीन्हों॥

गेरु लाल घटा छवि, बदन कमल सोहे।
मन्द हँसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चँवर दूरे प्यारे।
धुप, दीप, मधुमेवा, भोग धरे न्यारे॥

गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही॥

मन्दिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई॥

भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।
जो मन बसै हमारे, इच्छा फल दीजै॥

दुखी, दरिद्री, रोगी, संकट मुक्त किए।
बहु धन - धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए॥

ध्यान धर्यो जो नर तेरो, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवणकर, घर आंनद आयो॥

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥

संतोषी माँ की आरती, जो कोई नर गावे।
ऋद्धि - सिद्धि सुख - सम्पत्ति, जी भर के पावे ॥

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