कूष्मांडा माता की आरती | Kushmanda Mata ki Aarti
Kushmanda Mata ki Aarti: माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कुष्मांडा है। अपनी मंद हँसी से अण्ड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हे कुष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपुर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। कुष्मांडा देवी अल्पसेवा और अल्पभक्ति से प्रसन्न हो जाती हैं। यदि साधक सच्चे मन से इनका शरणागत बन जाये तो उसे अत्यंत सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो जाती है।
कूष्मांडा माता की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिंगला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोलीभाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुंचाती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
Kushmanda Mata ki Aarti image
नवरात्रि की सभी देवियों की आरतियाँ ▶