कालरात्रि माता की आरती | Kalaratri Mata ki Aarti

Kalaratri Mata ki Aarti: माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की भांति काला है, बाल बिखरे हुये, गले में विद्युत की भांति चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं जो ब्रह्मांड की त्राह गोल हैं। भगवती कालरात्रि का ध्यान, कवच, स्त्रोत का जाप करने से 'भानुचक्र' जागृत होता है। इनकी कृपा से अग्नि भय, आकाश भय, भूत पिशाच स्मरण मात्र से ही भाग जाते हैं। कालरात्रि माता भक्तों को अभय प्रदान करती हैं।   

Kalaratri Mata ki Aarti

कालरात्रि माता की आरती

कालरात्रि जय जय महाकाली। 
काल के मुंह से बचानेवाली॥ 

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। 
महाचंडी तेरा अवतारा॥ 

पृथ्वी और आकाश पे सारा। 
महाकाली है तेरा पसारा॥ 

खड्ग खप्पर रखनेवाली। 
दुष्टों का लहू चखनेवाली॥ 

कलकत्ता स्थान तुम्हारा। 
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥ 

सभी देवता सब नर-नारी। 
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा। 
कृपा करे तो कोई भी दुख ना॥ 

ना कोई चिंता रहे बीमारी। 
ना कोई गम ना संकट भारी॥ 

उस पर कभी कष्ट ना आवे।
महाकाली मां जिसे बचावे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह। 
कालरात्रि मां तेरी जय॥

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Kalaratri Mata ki Aarti


नवरात्रि के दिनों मे माँ दुर्गा के भक्त-जन, माँ अम्बे को प्रसन्न करने के लिए श्री दुर्गा सप्तशती पाठ करते हैं, ऐसी मान्यता है कि इससे हर मनोकामना माँ की कृपा से अवश्य ही पूर्ण हो जाती है। 

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