वाह! क्या मेला है, “एकता का प्रतीक मेला” पर निबन्ध | Essay on Fair in Hindi
वाह! क्या मेला है, “एकता का प्रतीक मेला” पर निबन्ध | Essay on Fair in Hindi
संकेत बिंदु– (1) मेरठ एक प्राचीन नगर (2) मेरठ का नौचन्दी मेला (3) मेले के मुख्य आकर्षण (4) मेले के तीन घर (5) उपसंहार।
मेरठ एक प्राचीन नगर
उत्तर प्रदेश में एक विख्यात नगर मेरठ है। मेरठ रामायण काल और महाभारत काल की यादें अपने सीने में समेटे है। मेरठ के निकटवर्ती ग्राम बनौनी में महाऋषि वाल्मीकि का आश्रम है, जहाँ सीता अपने अन्त के बनवास काल में आयीं और यहीं लव कुश का जन्म हुआ। मेरठ रावण की पत्नी मन्दोदरी की जन्म स्थल भी कहा जाता है। यही नहीं मेरठ के निकट ही बरनावा में पाण्डवों को जलाने के लिए लाक्षाग्रह का निर्माण भी हुआ था और मेरठ के निकट ही हस्तिनापुर में कौरवों की राजधानी भी बतायी जाती है।
मेरठ का नौचन्दी मेला
मेरठ क्रांति में अग्रणी रहा, हिन्दी भाषा मेरठ की देन है। मेरठ की भूमि ने धर्म, भाषा, इतिहास और राजनीति के साथ साथ साहित्य में भी अपना योगदान दिया है। इसी मेरठ में नौचन्दी का एक विशाल मेला लगता है। यह नौचन्दी का मेला प्रत्येक वर्ष होली के बाद का एक रविवार छोड़कर दूसरे रविवार से प्रारम्भ होता है और लगभग एक मास तक यह मेला चलता है।
मेरठ में मन जन का वन्दन नौचन्दी।
मेरठ के माथे का चन्दन नौचन्दी॥
यह रचना कवि मनोहरलाल 'रतनम्' ने नौचन्दी मेले को अर्पित करते हुए मेले की विशेषता का वर्णन किया है। नौचन्दी मेले की विशेषता यह है कि यह मेला शाम को लगभग 6 बजे प्रारम्भ होता है और प्रात: 6 बजे तक चलता है, दिन में यह मेला बंद कर दिया जाता है।
नौचन्दी मेले का प्राचीन नाम नव चण्डी का मेला था, जो समय के साथ साथ भाषा की सरलता के लिए नौचन्दी बन गया। इस मेले को ऐतिहासिकता यह है कि इस मेले में जहाँ एक ओर माँ चण्डी का भव्य मंदिर हैं वहीं मंदिर के सामने बालेमियाँ की दरगाह है, बीच में केवल एक सड़क है, मंदिर में पूरी रात भजन कीर्तन होता है और दरगाह पर पूरी रात कब्बालियों का कार्यक्रम चलता है । मंदिर में शीर्ष गायक नरेन्द्रचंचल, लखविन्दर सिंह लख्खा, सत्तीम, प्रमोद कुमार, कुमार विशु, सोनू नेहा आदि अनेक भजन गायक दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं तो दरगाह में देश भर के मशहूर कब्बाल अपनी कब्बालियों से दरगाह पर हाजिरी लगाते हैं । यदि देखा जाये तो हिन्दू मुस्लिम की एकता का प्रतीक यह नौचन्दी मेला सारे भारत में विख्यात है।
इस मेले को देखने भारत ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं और पूरी रात मेले का आनन्द उठाते हैं। लगभग तीन किलोमीटर के दायरे में लगने वाले इस मेले का प्रबन्ध एक वर्ष मेरठ नगरपालिका द्वारा किया जाता है और एक वर्ष मेरठ नगर परिषद् द्वारा होता है। मेले में खाने पीने की दुकानें, खेल खिलौने की दुकानें, सरकस, सिनेमा, खेल तमाशे, मौत का कुआँ, नौका विहार आदि अनेक प्रकार के मनोरंजन के साधन उपलब्ध होते हैं।
मेले के मुख्य आकर्षण
मेले का मुख्य आकर्षण पटेल मण्डप होता है जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत कार्यक्रम, मुशायरा और कवि सम्मेलन, फैशन शो, बेबी शो, फिल्मी कलाकारों का जमावड़ा इत्यादि कार्यक्रम पंद्रह दिन तक प्रतिरात्रि चलते हैं। नौचन्दी मेले के विशेष आकर्षण कवि सम्मेलन में देश के विख्यात कवियों ने अपना कविता पाठ किया है, जिनमें काका हाथरसी, सुरेंद्र शर्मा, अशोक 'चक्रधर', ओम प्रकाश 'आदित्य', नरेन्द्र 'अजनबी', सोम ठाकुर, देवराज 'दिनेश', वेद प्रकाश 'सुमन', कृष्ण मित्र, निर्भय हाथरसी, कुँअर बेचैन, हरिओम पंवार, विष्णु सरस, महेन्द्र शर्मा, मनोहर लाल रत्नमू, रतन सिंह 'रत्न' आदि अनेक कवि काव्य पाठ करके माँ चण्डी को नमन कर चुके हैं। इसी प्रकार मुशायरे में देश के नामी शायरों ने अपनी रचनाओं से माँ चण्डी और बालेमियाँ को अपना सलाम पेश किया है।
यही क्रम पंजाबी कार्यक्रमों का भी है, पंजाबी के गायकों ने भी नौचंदी मेले में अपनी हाजरी लगायी है। पटेल मण्डप में सभी कार्यक्रमों में टिकट लगता है। यह कार्यक्रम रात्रि को लगभग 10 बजे प्रारम्भ होता है और प्रातःकाल तक चलता रहता है मेला देखने के लिए मेरठ के आसपास से लोग स्त्री पुरुष, बच्चे, बूढ़े सभी आते हैं और अपनी मन पसंद चीज़ें मेले में घूमकर खरीदते भी हैं और मन पसंद खाते भी हैं।
मेले में कपड़े दुकानें, टेलीविजन के स्टाल, बिजली के अनेक उपकरण, खाना बनाने के उपकरण, दवाइयों की दुकानें आदि अनेक प्रकार की प्रदर्शनी भी लगती हैं।
मेले के तीन घर
नौचंदी मेले के तीन मुख्य घर हैं, इन तीनों घरों से लोग आते जाते हैं, आने और जाने के रास्ते अलग हैं। अनेक वर्षों से लगने वाले इस मेले की ऐतिहासिक विशेषता यह है कि मेरठ एक संवेदनशील शहर होने के बाद भी इस मेले में आज तक कभी हिन्दू मुस्लिम दंगे की कोई घटना नहीं घटी।
नौचन्दी मेला देखने गये प्रत्येक दर्शक मेले के मुख्य घर को ही देखते ही कह देते हैं– ''वाह क्या मेला है!'' जैसे जैसे मेले के भीतर लोग जाते हैं तो वह मेले को देखकर दंग रह जाते हैं, कहीं आसमान को मुँह चिढ़ाती लाइटें, कहीं रंग बिरंगी बिजली के बल्बों की छटा, कहीं झरने से गिरता पानी, कहीं खेल तमाशों का शोर और कहीं चूर्ण की गोलियाँ, टाफियाँ बाँटते दुकानदार। पूरी रात लगने वाला यह मेला दर्शकों के भरपूर मनोरंजन का साधन माना जाता है।
उपसंहार
मेरठ में लगने वाला नौचन्दी का मेला इसलिए विशेष है कि इस मेले में जहाँ तरह तरह के खाने का सामान, खेल तमाशे, दुकानें, बाजार लगते हैं वहीं मन को शांति के लिए चण्डी देवी का मंदिर और बालेमियाँ की दरगाह आकर्षण का केंद्र है। नौचन्दी मेले में बिकने वाली मेरठ की 'नानखताई' विशेष उपहार माना जाता है। यह मेला एक बार हर आदमी को देखना चाहिए तभी तो वह कह सकेगा–'' वाह क्या मेला है !!'