एन० सी० सी० का प्रशिक्षण (Training of N.C.C.)
एन० सी० सी० का प्रशिक्षण (Training of N.C.C.)
एन० सी० सी० के प्रशिक्षण को निम्नलिखित तीन डिवीजनों में विभाजित किया गया है–
(1) सीनियर डिवीजन– इसमें कॉलेज/विश्वविद्यालय के 15 से 26 आयु वर्ग वाले छात्र प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। यह प्रशिक्षण तीन वर्ष का होता है। सीनियर डिवीजन को तीन स्कन्थों में विभाजित किया गया है–
1. थल सेना स्कन्ध एन० सी० सी०, 2. नौ सेना स्कन्ध एन० सी० सी०, 3. वायु सेना स्कन्ध एन० सी० सी०।
थल सेना स्कन्ध एन० सी० सी० में थल सेना के ही समान निम्नलिखित यूनिटें हैं– (1) आर्मड, (2) आर्टिलरी, (3) इन्फेण्टरी, (4) इन्जीनियर्स, (5) सिगनल्स, (6) इलेक्ट्रीकल एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग, (7) मेडीकल, (8) अफसर ट्रेनिंग, (9) आर० वी० सी०
(2) जूनियर डिवीजन– इसमें 13 से 16 आयु वर्ग के माध्यमिक स्कूलों के छात्र प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। इनका प्रशिक्षण 2 वर्ष का होता है। जूनियर डिवीजन को भी निम्नलिखित तीन स्कन्धों में विभाजित किया गया है–
1. थल सेना स्कन्ध एन० सी० सी०, 2. नौ सेना स्कन्ध एन० सी० सी०, 3. वायु सेना स्कन्ध एन० सी० सी०।
(3) गर्ल्स डिवीजन– इस डिवीजन में जूनियर एवं सीनियर स्कन्ध होते हैं। इनमें क्रमशः स्कूलों एवं कॉलेजों की 15 से 26 वर्ष की छात्राएँ प्रशिक्षण प्राप्त करती हैं। सीनियर डिवीजन में सिगनल कम्पनी, नर्सिंग कम्पनी एवं मेडीकल कम्पनी सम्मिलित होती हैं। सीनियर डिवीजन का प्रशिक्षण तीन वर्ष एवं जूनियर डिवीजन का प्रशिक्षण तीन वर्ष का होता है।
एयरविंग प्रशिक्षण
एन० सी० सी० एयरविंग की स्थापना सन् 1950 में हुई थी। एयरविंग प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य देश के युवाओं उड्डयन गतिविधियों के प्रति रुचि पैदा करना है। उड़ान-दस्तों में सामान्य प्रशिक्षण के अतिरिक्त कैडेटों को ग्लाइडिंग एवं माइक्रोलाइट गतिविधियों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। कैडेटों को उड्डयन विषयों; जैसे-वायुगतिकी , नेविगेशन, एयरमैनशिप, मौसम विज्ञान और वायु-इंजन का बुनियादी सैद्धान्तिक ज्ञान भी प्रदान किया जाता है। इसमें निम्नलिखित व्यावहारिक प्रशिक्षण दिये जाते हैं–
(i) ग्लाइडिंग– यह कैडेटों की एक बड़ी संख्या की पहुँच के भीतर विमानन को लाने का सबसे उपयुक्त एवं किफायती तरीका है।
(ii) माइक्रोलाइट फ्लाइंग– एन० सी० सी० में माइक्रोलाइट फ्लाइंग एक साहसिक गतिविधि के रूप में आरम्भ की गई है जिसका उद्देश्य कैडेटों को उड़ान का अनुभव एवं प्रशिक्षण देना है।
(iii) ऐरोमॉडलिंग– यह किसी उड़ती हुई वस्तु पर वायुगतिकी के बलों के कार्य दर्शाने और समझाने का सबसे अच्छा तरीका है। यह सिद्धांतों और व्यावहारिक उड़ान के बीच की एक अति-महत्वपूर्ण कड़ी है।
(iv) अटैचमेंट प्रशिक्षण– इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य एन० सी० सी० कैडेटों और ऑफीसरों को वायु सेना स्टेशनों और प्रतिष्ठानों के काम के विषय में परिचित करवाना है। प्रशिक्षण के दौरान कैडेटों को गहन वायु-प्रशिक्षण दिया जाता है।
(v) कोर्स– प्रत्येक वर्ष सीनियर कैडेटों के लिए एक प्री-कमीशन और एक रिफ्रेशर कोर्स आयोजित किया जाता है साथ ही जूनियर कैडेटों के लिए भी दो प्री-कमीशन और दो रिफ्रेशर कोर्स आयोजित किये जाते हैं।
एन० सी० सी० कैडिट्स की पदोन्नति (Promotion of N.C.C. Cadets)
सर्वप्रथम एन० सी० सी० में छात्रों को कैडिट के रूप में भर्ती किया जाता है। इसके पश्चात् इनकी निम्नलिखित पदों पर पदोन्नति की जाती है–
(1) लान्स कारपोरल (LCpl)– इसके लिए निम्नलिखित शर्तें हैं–
- एन० सी० सी० में कम-से-कम 3 माह का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया हो।
- कम-से-कम 75 परेड में उपस्थित रहा हो।
- ड्रिल, मैप रीडिंग आदि का टेस्ट पास कर लिया हो।
- 6 माह लान्स कारपोरल के पद पर रहा हो।
- हथियार की सफाई का टेस्ट पास कर लिया हो।
(3) सार्जेण्ट (Sargeant)– इसके लिए निम्नलिखित शर्ते हैं–
- कम-से-कम 6 माह कारपोरल के पद पर रहा हो।
- एन० सी० सी० द्वितीय वर्ष का कैडिट हो।
- कम-से-कम 6 माह सार्जेण्ट के पद पर रहा हो।
- 'बी' सर्टीफिकेट पास कर लिया हो।
प्रत्येक सीनियर डिवीजन एन० सी० सी० कम्पनी में 154 कैडिट्स होते हैं। एक एन० सी० सी० कम्पनी में एक सीनियर अण्डर आफीसर, 3 अण्डर आफीसर, 5 सार्जेण्ट, 9 कारपोरल और 18 लान्स कारपोरल के पद होते हैं।