बसंत वर्णन पर निबंध - Spring Season Description Essay in Hindi

बसंत वर्णन पर निबंध - Spring Season Description Essay in Hindi

Spring Season Description essay in Hindi

इस निबंध के अन्य शीर्षक-

  • ऋतुराज 
  • मधुमास
  • बसंत श्री 
  • बसंत ऋतु 

रूपरेखा–

  1. प्रस्तावना,
  2. बसन्त–वैभव, 
  3. ऋतुओं का राजा,
  4. नदियों और सरोवरों की शोभा,
  5. उपसंहार।
“ग्रीष्मवर्षाशरच्चैव हेमन्तशिशिरस्तथा।
ऋतुराजो बसन्तश्च षडेते ऋतवः स्मृताः॥”

प्रस्तावना

भारत प्रकृति की स्मरणीय क्रीड़ास्थली है। प्रकृति के नाना रूप यहाँ देखने को मिलते हैं, जिन्हें देखकर आँखें और मन उन्हीं में तल्लीन हो जाते हैं। यहाँ पर बारी–बारी से छ: ऋतुएँ आती हैं और जाती हैं। प्रत्येक ऋतु का अपना निजी सौन्दर्य और नया प्राकृतिक वैभव होता है। इन छ: ऋतुओं में भी वसन्त की अपनी निराली छटा है। इसीलिए तो उसे ‘ऋतुराज की पदवी से विभूषित किया जाता है। प्रमुदित वसन्त राजरानी प्रकृति सज–धजकर गाने गाती हुई, बसन्तराज का स्वागत करती है
“मधू बरसाता आता बसन्त।
ऋतुओं का राजा बसन्त ॥
प्रकृति राजरानी है रूप सजाये।
भौरों के मिस गाने गाये॥
स्वागत करती, आता बसन्त।
ऋतुओं का राजा बसन्त॥”

बसन्त–वैभव

कुसुमाकर की नयनाभिराम रमणीयता भी कैसी अद्भुत होती है? शीतल–मन्द–सुगन्ध पवन परम आह्लाद प्रदान करती है। विविध प्रकार के फूलों से लदे वृक्ष वन और उपवनों की शोभा को द्विगुणित करते हैं। इस समय किंशुक पुष्पों से सुशोभित वसुन्धरा ऐसी प्रतीत होती है जैसे साक्षात् मूर्तिमती बसन्त शोभा ने लाल रेशमी वस्त्र धारण कर लिए हों।

कमनीय कनियर और कुरवक आदि के फूलों से सुगन्धित सम्पूर्ण वन–प्रदेश अत्यन्त नवीन शोभा धारण कर लेता है। आम की शाखाओं पर कूकते हुए कोयलों की श्रुति मधुर पंचम तान से लोगों के मन प्रमुदित हो उठते हैं। आम्र–मंजरियों की मादक सुगन्ध से सारा वातावरण ही महक उठता है। फूलों से सज्जित लता कुंजों पर भौंरों का गूंजन सुनकर हृदय आलाद से भर जाता है।

ऋतुओं का राजा

निखिल जनों के हृदयों को आह्लाद देने वाला बसन्त ‘ऋतुराज पद से विभूषित होता है। इस ऋतु का समशीतोष्ण वातावरण सभी को प्रिय लगता है। यही वह समय होता है जबकि समस्त वृक्ष समूह और लताओं पर नयी–नयी कोमल कोपलें उत्पन्न होती हैं, मानो तरु लताओं में नवजीवन का संचार हो जाता है।

आम के बागों में नव मंजरी की फैली सुगन्ध नवफलागम की सूचना देती है। चारों ओर हरी–भरी फसलों से लहराते खेतों को देखकर किसान खुशी से फूले नहीं समाते। फूली सरसों के खेतों को देखकर लगता है जैसे धरती ने जरी का काम की हुई कौशेय साड़ी धारण कर ली हो।

नदियों और सरोवरों की शोभा

नदियों, सरोवरों और झरनों का जल नितान्त–निर्मल हो रहा है। जलाशयों में सफेद, लाल, पीले आदि विविध रंगों के कमल मकरन्द से पूर्ण होकर अतिः विलसित हो रहे हैं। उन पर भ्रमण करते भ्रमरों का गुंजन अति मधुर प्रतीत होता है। निर्मल जल वाली सरिताओं के तटों एवं निर्झरों के कूलों में पशु–पक्षी स्वछन्द विहार करते हैं।

उपसंहार

इस प्रकार बसन्त की अनुपम छटा वन, उपवन में, जल और स्थल में सर्वत्र बिखर जाती है। इसलिए यह ऋतु सदा कवियों की परमप्रिय रही है। भारत के प्राय: सभी कवियों ने इसके सौन्दर्य का वर्णन किया है। यही है बसन्त ऋतु जो जन–जन में नवजीवन का संचार कर देती है। सर्वत्र हर्षोल्लास का वातावरण बना देती है।
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