भारत की संस्कृति - Indian Culture
भारत की संस्कृति (Indian Culture)
भारतीय संस्कृति के आयाम–
विभिन्न नस्लें अति प्राचीन काल से भारत में चली आ रही हैं। इन जातियों की सभ्यता एक-दूसरे से आस्थगित है। भारत में प्रवेश के साथ ही उन्होंने भारत के लोगों के साथ संघर्ष किया था। भारतीय संस्कृति के संश्लेषण की प्रक्रिया बहुत मजबूत है।
(a) नेग्रिटोस नस्ल– जे० एच० प्यूटन के अनुसार, “भारत की सबसे प्राचीन नस्ल नेग्रिटोस है। उन्हें हडिड्यों और यन्त्रों से बने यंत्रों के प्रयोग का ज्ञान नहीं था। उन्होंने हमें बताया कि किस तरह से भूमि का विकास किया जाना चाहिए एवं किस तरह उस पर घर बनाना चाहिए। वे अब केवल अण्डमान द्वीप पर पाये जाते हैं। यह नस्ल 6,000 वर्ष पूर्व भारत आयी थी।
(b) प्रोटो ओस्ट्रेलिओड नस्ल– अब यह नस्ल केन्द्रीय भारत और दक्षिण-पूर्वी भारत के कई हिस्सों में पायी जाती है। इन्हें अंग्रेजी में आस्ट्रिक एवं हिन्दी में एगनेथा भी कहा जाता है। ओस्ट्रेलिओड नस्ल के व्यक्ति भारत के धार्मिक और महत्वपूर्ण जीवन से प्रभावित होते हैं। भारतीयों ने कुल्हाड़ी से जमीन के विकास के बारे में इनसे सीखा। भारतीयों ने उनसे चावल, केला, नारियल, नीबू और रुई को उगाना सीखा। भारतीयों ने इस नस्ल से पुनर्जन्म में विश्वास, पत्थरों में भगवान होने का विश्वास और सृष्टि की उत्पत्ति में विश्वास आदि सीखा। रामायण और महाभारत की रुचिकर कहानियाँ जैसे वासुकी, पाताल लोक का राजा, अण्डों और साँपों से सृष्टि का विकास, गणेश भगवान की रुचिकर कहानियाँ आदि। सभी इस नस्ल से मिथकों ने लीं। चाँद की परछाईं से तारीख गिनना और त्योहारों का निर्धारण इस नस्ल ने ही भारतीयों को सिखाया।
(c) द्रविडियन नस्ल– यह नस्ल सबसे पहले भारत में आयी। ये दोनों नस्लों से अधिक सभ्य थी। इनके प्रभाव मे भारत में नये भगवान और नये तरीकों से पूजा का उद्भव हुआ। 'पूजा' शब्द द्रविडियन से सम्बन्धित है। द्रविडियन्स के प्रभाव से नये भगवान आए जो शिव, उमा, कार्तिकेय, हनुमान आदि थे। द्रविडियन के प्रभाव से भगवानों की संख्या में वृद्धि हुई। भगवान और भगवती, गाँव के भगवान, परिवारों के भगवान और अन्य धर्मों के भगवान सभी इन्हों के प्रभाव का परिणाम थे। धार्मिक स्थानों की पूजा का महत्व बढ़ा। पेड़ों की पूजा भी इनसे हुई; जैसे-तुलसी, बरगद, पीपल और अन्य पेड़ों की पूजा और बसंत का त्यौहार भी भारतीयों को द्रविडियन्स की देन हैं।
(d) आर्यन प्रजाति– भारतीय संस्कृति के विकास में आर्यन्स का बहुत बड़ा योगदान धा। जो भाषा आज बोली जाती है, वह उनकी मातृभाषा थी। भारतीय संस्कृति की मुख्य जड़ उनके वेद हैं। विभिन्न जातियों के बीच समायोजन का निर्धारण करना प्रणाली के सिद्धान्त और राक्षस के बीच सभ्यता को फैलाना और जंगली जनजातियों में तपोवन प्रणाली का निर्धारण आर्यन्स का योगदान है।
(e) मुस्लिम प्रजाति– आर्यन्स के बाद भारत में मुस्लिम आए। भारतीय जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर मुस्लिम प्रजाति का प्रभाव बहुत बड़ा था। इनका प्रभाव भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ा; जैसे-पोशाक, खाने बनाने की विधियाँ, शादी विवाह की परम्परा, त्यौहार, मेले आदि। मराठी, राजपू्तों और सिक्खों की स्थापना और कार्य पद्धति इस प्रजाति की देन हैं।
(f) अंग्रेजों का प्रभाव– भारतीय संस्कृति पर अंग्रेजों गे गहरा प्रभाव डाला। भारतीय भाषा में अंग्रेजों के द्वारा बहुत से अंग्रेजी शब्दों का जन्म हुआ। पाश्चात्य संस्कृति का गद्य, नोवल, कविता, एकांकी आदि का प्रभाव भारतीय साहित्य पर साफ दिखाई दे रहा था। पाश्चात्य शिक्षा ने पूरे देश में सुधार की एक लहर बना दी। आज के शासन प्रबन्ध का तरीका ब्रिटिश विचारधारा के प्रभाव का एक महत्वपूर्ण परिणाम है। वर्तमान आर्थिक सामान, संयुक्त स्टॉक कम्पनी एजेन्सियों का प्रबन्धन, बड़ी फैक्टरियों, मशीनों द्वारा उत्पादन, रेलवे, टेलीग्राफ, टेलीफोन एयरोप्लेन और संचार के अन्य साधन भारत में पश्चिम से लाये गए।