एन० सी० सी० का इतिहास - History of NCC in Hindi
एन० सी० सी० का इतिहास (History of NCC)
प्रथम विश्वयुद्ध (1914-17) के कारण ब्रिटिश फौज में सैनिकों की कमी को अनुभव किया गया। ब्रिटिश सरकार विद्यालयों में छात्रों को सैन्य प्रशिक्षण देना चाहती थी, जिससे उनकी सेवा के लिए अच्छे सैनिक अफसर मिलते रहें। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सन् 1917 में यूनीवर्सिटी कोर (U. C.) की स्थापना की गई। यूनिवर्सिटी कोर का पहला ट्रूप कलकत्ता विश्वविद्यालय ने 3 नवम्बर, 1917 को अपने यहाँ स्थापित किया। सन् 1920 में भारतीय प्रादेशिक अधिनियम के पारित हो जाने से 'यूनिवर्सिटी कोर' का स्थान यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग कोर (U. T. C.) ने ले लिया। आगे चलकर सन् 1942 में यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग कोर का नाम बदल कर यूनिवर्सिटी ऑफिसर्स ट्रेनिंग कोर (U. O. T. C.) कर दिया गया। लेकिन इस संगठन का क्षेत्र संकुचित होने के कारण इसमें बहुत कम छात्रों ने भाग लिया। सन् 1946 तक देश में U. O. T. C. की 18 यूनिटें कार्यरत थीं।
द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-45) के समय यूनिवर्सिटी ऑफिसर्स ट्रेनिंग कोर अपने उद्देश्य में असफल रहा। इसकी असफलता को ध्यान में रखते हुए तथा छात्रों को सैन्य प्रशिक्षण देने के लिए भारत सरकार ने सन् 1946 में पण्डित हृदयनाथ कुंजरू की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कैडिट कोर समिति की स्थापना की। इस समिति ने विश्व के विकसित देशों में युवकों के सैन्य प्रशिक्षण का गहन अध्ययन करने के पश्चात् मार्च 1947 में अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत की। सरकार ने समिति की सिफारिशें स्वीकार करते हुए एक बिल तैयार किया जो 16 जुलाई, 1948 में संसद द्वारा पारित होकर “राष्ट्रीय कैडिट कोर अधिनियम” बन गया। इसी अधिनियम के अन्तर्गत विद्यालयों में राष्ट्रीय कैडिट कोर (N.C.C.) की स्थापना हुई।
एन० सी० सी० के सफल संचालन के लिए अप्रैल, 1948 में रक्षा मन्त्रालय में राष्ट्रीय कैडिट कोर निदेशालय की स्थापना की गई। कर्नल के समकक्ष सैनिक अधिकारी जी० जी० बैबूर को उसका प्रथम निदेशक नियुक्त किया गया। एन० सी० सी० का विस्तार होने पर यह पद बढ़ाकर सन् 1954 में ब्रिगेडियर तथा सन् 1961 में मेजर जनरल का कर दिया गया तथा सन् 1962 में इस पद का नाम महानिदेशक राष्ट्रीय कैडिट कोर कर दिया गया तथा मेजर जनरल आर० एस० पेण्टल को उसका प्रथम महानिदेशक नियुक्त किया गया। सन् 1982 में फिर महानिदेशक का औहदा बढ़ाकर लेफ्टीनेण्ट जनरल का कर दिया गया।
एन सी० सी० के गठन एवं प्रशासन सम्बन्धी नीति से सम्बन्धित मामलों पर केन्द्रीय सरकार को परामर्श देने के लिए एक केन्द्रीय सलाहाकार समिति बनाई गई। इस समिति में रक्षा मन्त्री, रक्षा सचिव, शिक्षा सचिव, रक्षा वित्तीय सलाहकार, तीनों सेनाओं के प्रमुख, संसद द्वारा चुने गये दो सदस्य और सरकार द्वारा मनोनीत पाँच सदस्य सम्मिलित थे। इसी प्रकार प्रत्येक राज्य में एन० सी० सी० के प्रशासन और उसमें सुधार के सम्बन्ध में राज्य सरकार को परामर्श देने के लिए सलाहकार समितियाँ बनायी गयीं।
एन सी० सी० प्रशिक्षण को और अधिक विस्तृत बनाने के लिए सन् 1949 में गर्ल्स डिवीजन, सन् 1950 में पैरा डिवीजन और सन् 1952 में नेवी डिवीजन की स्थापना की गई। विद्यालयों के छात्रों को रायफल चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए सन् 1960 में एन सी० सी० रायफल्स की स्थापना की गई। सन् 1962 में चीन के भारत पर आक्रमण के पश्चात् जुलाई, 1963 से विद्यालयों के स्वस्थ छात्रों के लिए एन० सी० सी० का प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया।
एन० सी० सी० तथा एन० सी० सी० रायफल्स के कैडिटों में ड्रैस, प्रशिक्षण, कम्पनी में कैडिटों की संख्या आदि में बहुत अन्तर था, अतः दोनों में एकरूपता लाने के लिए 2 अप्रैल, 1964 को एन० सी० सी० रायफल्स का एन सी० सी० में विलय कर दिया गया तथा विद्यालयों के छात्रों को प्रशिक्षण की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी।
सन् 1997 से एन सी० सी० के पाठ्यक्रम में खेलकूद एवं स्पोर्ट्स को भी शामिल कर लिया गया। एन० सी० सी० के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवर्ष 6 अगस्त से 16 अगस्त के मध्य 'स्वतन्त्रता दिवस शिविर' का आयोजन दिल्ली में किया जाता है। एन० सी० सी० दिवस प्रतिवर्ष नवम्बर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता है। सन् 2006 में एन० सी० सी० के पाठ्यक्रम मैं फील्ड इन्जीनियरिंग कम्युनिकेशन, ऑब्सटिकल ट्रेनिंग तथा पॉश्चर प्रशिक्षण को शामिल कर लिया गया है। वर्तमान में एन० सी० सी० कैडिट्स की स्वीकृत संख्या कुल 13 लाख है। देश के सभी जिलों के 8410 स्कूलों तथा 5251 कॉलेजों में एन० सी० सी० है। इनको प्रशिक्षित करने के लिए देश में 91 ग्रुप हैडक्वार्टस, 763 आर्मी बिग यूनिट्स (टेक्नीकल एवं गर्ल्स सहित), 58 नेवल विंग यूनिट्स तथा 58 एअर स्क्वाडून कार्यरत हैं। राष्ट्रीय कैडिट कोर का नेटवर्क केन्द्र शासित अण्डमान निकोबार एवं लक्षदीप, उत्तर में लेह, पश्चिम में कच्छ तथा पूर्व में कोहिमा तक फैला हुआ है।
मूल्यांकन समिति–
एन० सी० सी० के लक्ष्यों के सन्दर्भ में सन् 1972 में पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जी० एस० महाजनी की अध्यक्षता में एक मूल्यांकन समिति का गठन किया गया जिसकी सिफारिशें सरकार द्वारा लागू की गईं।
एन० सी० सी० के उद्देश्यों और लक्ष्यों के सन्दर्भ में इसके कार्य का मूल्यांकन एवं समीक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा 20 दिसम्बर, 1986 के असांविधिक संकल्प 8 के अन्तर्गत लेफ्टीनेण्ट जनरल (सेवा निवृत्त) एम० एल० थापन की अध्यक्षता में इस प्रकार की एक अन्य समिति का गठन किया गया। समिति ने जून 1988 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। भारत सरकार द्वारा समिति की सिफारिशों को आंशिक रूप से स्वीकार करके लागू कर दिया गया है।
सम्पूर्ण भारत में एन० सी० सी० का प्रसार निम्न प्रकार है–
वरिष्ठ वर्ग | कनिष्ठ वर्ग | योग | |
---|---|---|---|
(i) लड़के (ii) लड़कियां |
388845 86365 |
721769 103021 |
1110614 189386 |
कुल योग | 13,00,000 |
सलाहकार समितियाँ (A. C.)–
एन० सी० सी० के कार्यों के लिए केंद्र एवं राज्य दोनों जिम्मेदार हैं।
केंद्रीय सलाहकार समिति (C. A. C.)–
एन० सी० सी० का कार्य संचालन एन० सी० सी० अधिनियम की धारा 12 के प्रावधानों के अन्तर्गत गठित केन्द्रीय सलाहकार समिति की देखरेख में होता है। इसके अध्यक्ष रक्षा राज्य मंत्री हैं। इस समिति की बैठक दो वर्ष में एक बार होती है जो भारत सरकार को एन० सी० सी० के गठन एवं प्रशासन के सम्बन्ध में परामर्श देती है। इस समिति का स्वरूप अग्रलिखित है–
1. | रक्षा राज्य मंत्री | अध्यक्ष |
2. | रक्षा सचिव, रक्षा मंत्रालय | पदेन सदस्य |
3. | शिक्षा सचिव, सचिव,मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय | पदेन सदस्य |
4. | तीनों सेनाध्यक्ष | पदेन सदस्य |
5. | वित्त सलाहकार, रक्षा सेवाएं | पदेन सदस्य |
6. | लोकसभा के दो सांसद | सदस्य |
7. | राज्य सभा का एक सांसद | सदस्य |
8. | केन्द्र सरकार द्वारा नामित पाँच | गैर सरकारी सदस्य |
राज्य सलाहकार समिति (S.A.C.)–
प्रत्येक राज्य में केन्द्रीय सलाहकार समिति जैसी ही एक राज्य सलाहकार समिति गठित की गई है। राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी तथा राज्य के एन० सी० सी० अपर महानिदेशक इसके सदस्य हैं। राज्य सलाहकार समिति की प्रतिवर्ष बैठक होती है जिसमें उस राज्य में एन० सी० सी० की कार्यविधि पर निगाह रखी जाती है एवं परामर्श दिया जाता है।