भारत की विरासत Heritage of India

भारत की विरासत (Heritage of India)

भारतीय सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत एक विविधतापूर्ण देश है। यहाँ अतीत में विभिन्‍न प्रजाति और धर्मों के लोग आकर बस गए। वह यहाँ अपने साथ अपनी विशेष भाषा, संस्कृति और सभ्यता लेकर आए। विभिन्‍न जनजातियाँ यहाँ अपनी विशेष भाषा के साथ हमारे देश की विभिन्न जनजातियों के साथ मिश्रित हो गयीं।

प्राचीन समय में पूरी दुनिया से लोग भारत आने के इच्छुक थे। आर्य मध्य यूरोप से भारत में आकर बस गए। फारसियों ने ईरानियों का पीछा किया और फारसी भारत आकर बस गए। महान्‌ एलेक्जेण्डर भारत को जीतने आया, लेकिन पोरस से युद्ध में हारकर वापस चला गया। ह्नेनसांग चीन से यहाँ आया और उसने प्राचीन भारत के नालन्दा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों का भ्रमण किया। चंगेज खान ने कई बार भारत पर आक्रमण किया एवं भारत को लूटा। मुगल भारत आए और हमेशा के लिए यहाँ आकर बस गए। पुर्तगाल से वास्को-डी-गामा भारत अपने देश की वस्तुओं के लेन-देन के बदले यहाँ मसाले लेने आया। फ्रांसीसी भारत आए एवं अपनी कॉलोनियाँ यहाँ स्थापित कीं। इसीलिए हमारे यहाँ की संस्कृति को समग्र संस्कृति का एक उदाहरण माना जाता है। यह विभिन्‍न समुदाय, जातियों और धर्मों से बनी हैं।

यह एक लोकप्रिय तथ्य है कि कुछ मान्यताएँ और आदर्श आध्यात्मिक विकास के लिए अनुकूल होते हैं। हमारे पूर्वजों ने तो शुद्ध एवं पवित्र जीवन जीने का पाठ पढ़ाया है।

प्रत्येक धार्मिक प्रणाली के अन्तर्गत, जीवन की शांति, ज्ञान और पुण्यता को प्राप्त करने के अलग-अलग व्यावहारिक अर्थ हैं जो उनके कानून और आचार संहिता का अवलोकन करके जान सकते हैं। भारतीय संस्कृति में बहुत से ग्रन्थ हैं जिन्होंने भारतीय समाज के मानक मूल्यों की व्यवस्था को बनाने में मदद की है। उनमें से कुछ ग्रन्थ निम्नलिखित हैं–

वेद– 

वेद हिन्दू सभ्यता के चार पवित्रतम ग्रन्थ हैं। यह माना जाता है कि वेद मानव द्वारा बनाई गयी सबसे पुरानी पुस्तकों में से एक हैं। यह देव भाषा संस्कृत में लिखे गये हैं। इनमें वह मंत्र हैं जो धार्मिक समारोह के समय पढ़े जाते हैं। हालांकि लगभग 1,500 ईसा पूर्व उन्हें आखिरी बार लिखा गया था। लेकिन वास्तव में यह उससे भी अधिक प्राचीन हैं। यह मौखिक रूप से हजारों सालों तक एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित किये गये। वेदों में हिन्दू भगवानों, रस्मों-रिवाज के नियमों, भजन, कविता और प्रार्थनाओं की कहानियाँ लिखी हुई हैं। 'वैदिक' शब्द का अर्थ वेदों के बारे में है। वेदों की भाषा वैदिक संस्कृति के नाम से जानी जाती है। वेद चार हैं, जो निम्न प्रकार हैं–

(1) ऋग्वेद, (2) यजुर्वेद, (3) सामवेद, (4) अथर्ववेद।

रामायण– 

दुनिया के साहित्यों में रामायण एक सबसे बड़ा एवं प्राचीन महाकाव्य है। यह लगभग 24,000 छन्दों (अधिकांशत: श्लोक में स्थापित) जो कि 7 खण्ड, लगभग 500 सर्ग, चौपाई और दोहों, छन्दों में विभाजित हैं, से मिलकर बना है। हिन्दू परम्परा में इसे आदि-काव्य (पहली कविता) माना जाता है। इसमें संबंधों के कर्तव्य, आदर्श किरदारों का चित्रण; जैसे- आदर्श पिता, आदर्श भाई, आदर्श नौकर, आदर्श पत्नी और आदर्श राजा को दर्शाया गया है। रामायण का भविष्य की संस्कृत कविता और हिन्दू जीवन और संस्कृति पर एक मुख्य प्रभाव था। यह महाभारत की तरह सिर्फ एक कहानी नहीं थी। रामायण हिन्दू संतों की सभ्यता को कथा के रूप में सिखाता है। दार्शनिक और नैतिक तत्वों का प्रसार करता है। सभी पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, हनुमान और रावण, भारत, नेपाल, श्रीलंका, दक्षिण-पूर्व एशिया के देश जैसे थाईलैण्ड, कम्बोडिया, मलेशिया व इण्डोनेशिया की सांस्कृतिक चेतना की बुनियाद थे।

भगवत गीता– 

भगवत गीता को केवल गीता के रूप में भी संदर्भित किया जाता है, जो कि हिन्दू संतों के द्वारा संस्कृत में 700 छदों में लिखी गयी है। यह हिन्दू महाकाव्य महाभारत का हिस्सा है। गीता पांडवों के राजकुमार अर्जुन और उनके मार्गदर्शक एवं सारथी भगवान कृष्ण के बीच के संवादों का ऐतिहासिक वर्णन है। यह कौरवों और पांडवों के बीच धर्म व न्याय परायण युद्ध में एक योद्धा के कर्तव्यों को सामना करना है। अर्जुन को भगवान कृष्ण द्वारा एक योद्धा के रूप में क्षत्रिय कर्तव्यों को पूरा करने और स्थापित करने की सलाह दी गई। क्षत्रिय धर्म में मोक्ष प्राप्त करने के लिए युद्धभूमि के सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हैं। संजय धृतराष्ट्र के सलाहकार एवं सारथी थे। भगवत गीता धर्म की संकल्पना, आस्तिक भक्ति, भक्ति, कार्य व राजयोग के द्वारा मोक्ष के योग आदर्शों और सांख्य दर्शन की संकल्पना का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। भगवत गीता को निस्वार्थ कार्यों के रूप में कहा जाता है। जिसे भारतीय आजादी के समय विभिन्‍न नेताओं जैसे बाल गंगाधर तिलक व मोहनदास कर्मचन्द गाँधी के द्वारा प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया गया। महात्मा गाँधी ने इसे आध्यात्मिक शब्दकोष के रूप में परिभाषित किया है।

कुरान– 

इस्लाम का मुख्य धार्मिक ग्रन्थ है, जिसे मुसलमान अल्लाह से रहस्योद्घाटन के रूप में विश्वास करते हैं। इसे शास्त्रीय अरबी साहित्य में व्यापक रूप से श्रेष्ठ कार्य के रूप में माना जाता है। कुरान को पहले पाठ के रूप में विभाजित किया। फिर इसे वर्सेस (अयाह) के रूप में बाँटा गया। मुसलमान विश्वास करते हैं कि ईश्वर ने मुहम्मद को देवदूत गैब्रियल के द्वारा मौखिक रूप से कुरान के बारे में धीरे-धीरे लगभग 23 वर्ष के समय में बताया। जिसकी शुरूआत 22 दिसम्बर, 609 हिजरी में हुई जब मुहम्मद 40 वर्ष के थे हुई और समापन 632 में हुआ जो उनका मृत्यु वर्ष था। मुसलमान कुरान को मुहम्मद का एक महत्वपूर्ण चमत्कार मानते हैं। इसका सबूत एक दिव्य संदेश की श्रृंखला है, जिसकी शुरूआत प्रवर्तन एवं परिणति एडम के एक संदेश से प्रकट हुई एवं मुहम्मद के द्वारा खत्म हुई।

गुरु ग्रन्थ साहिब– 

गुरु ग्रंथ साहिब सिक्‍खों का प्रमुख धर्म ग्रन्थ है। इसे सिक्‍खों के द्वारा प्रभु और सनातन धर्म के रूप में रखा गया है। प्रत्येक सिख धर्म के 10 वंशावली के गुरुओं के धर्मों का पालन करते हैं। गुरु ग्रन्थ मुख्य रूप से 6 मुख्य गुरुओं; गुरु नानक साहिब, गुरु अंगद, गुरु अमरदास, गुरु रामदास, गुरु अर्जुन और गुरु तेग बहादुर के द्वारा बनाया गया। पहला वर्जन आदि ग्रंथ पाँचवे गुरु अर्जुन (1563-1606) के द्वारा अनुपालन किया गया। 10वें सिक्‍ख गुरु गोविंद सिंह के द्वारा इसमें कोई भी भजन नहीं जोड़ा गया जबकि नवें गुरु तेग बहादुर के सभी 115 भजन को इसमें जोड़ा। गुरु तेगबहादुर आदि ग्रन्थ के गुरु थे और उनके उत्तराधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की। इसका दूसरा प्रतिपादन गुरु ग्रन्थ साहिब के नाम से जाना गया। इसमें 1,430 पृष्ठ और 6,000 शब्द हैं, जिसे काव्यात्मक रूप में गाया गया है। इसे उत्तर भारत के प्राचीन क्लासिकल संगीत की तालबद्धता के रूप में रखा गया। गुरु ग्रन्थ साहिब की दृष्टि, तोरकाल ब्रेक राज्य, जो कि दिव्य न्याय पर आधारित समाज है, किसी भी उत्पीड़न के बिना है। इसे सिक्‍ख गुरुद्वारे में स्थापित किया गया। बहुत से सिक्‍ख गुरुद्वारे में प्रवेश करने से पहले इसे नमन करते हैं एवं इसके आगे झुकते हैं। सिक्ख इस ग्रन्थ को गुरुवाणी और सिक्‍खों के आध्यात्मिक अधिकार की तरह मानते हैं।

बाइबिल– 

बाइबिल यहूदी और ईसाई के लिए दिव्य प्रेरणा स्रोत की तरह है। भगवान और मनुष्य के बीच एक सम्बद्ध है, का समूह है। विभिन्‍न लेखकों ने बाइबिल में योगदान दिया है। एक निहित पाठ को परम्पराओं और समूहों के आधार पर अलग माना जाता है। बाइबिल संत की घोषणा को एक संख्या अतिव्यापी और अपसारी सामग्री के साथ विकसित की गई। ईसाई के पुराने नियम हिब्रू बाइबिल और यूनानी सेप्टूआगिर के साथ अतिव्यापी हुए।

प्रोस्टेट चर्चों सोला स्क्रिप्चरा या शास्त्र अकेले पर ध्यान केंद्रित करते हुए रोमन कैथोलिक, एगलिंकन तथा पूर्व रूढ़िवादी ईसाइयों ने बाइबिल के सद्भाव और महत्त्व तथा पवित्रता पर जोर दिया। यह अवधारणा कट्टर सुधारों और कई सम्प्रदायों के दौरान पैदा हुई। आज ईसाई शिक्षण के एकमात्र स्रोत के रूप में बाइबिल का उपयोग किया जाता है।

भारत अनेक धर्मों के विकास के लिए एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाज इन धर्मों से प्रभावित होते हैं। भारतीय रीति-रिवाज एक-रंगीन चित्रमाला को चित्रित करते हैं।

  1. भारतीय रीति-रिवाज सामान्यत या स्थानीय रीति-रिवाज, जाति रीति-रिवाज और पारिवारिक रीति-रिवाजों से सम्बन्धित होते हैं। यहाँ पर मुस्लिम विवाह और सिक्‍ख विवाह की तुलना में हिन्दू विवाह के अधिक रीति-रिवाज होते हैं। इसी तरह यहाँ पर त्यौहार को मनाने के भी बहुत सारे रीति-रिवाज हैं एवं सभी रीति-रिवाज कानून द्वारा संरक्षित हैं।
  2. कुछ धार्मिक रीति-रिवाज विशेष रीति-रिवाजों से ही सम्बन्धित होते हैं; जैसे-मुंडन, हिन्दुओं के समारोह, ईसाइयों के बपतिस्मा, सिक्‍खों में नाम समारोह। यह रीति-रिवाज अपने धार्मिक मूल्य रखते हैं और इनमें भाईचारा भी सम्मिलित है।
  3. यहाँ कुछ रीति-रिवाज औरतों के गहनों और वेशभूषाओं से सम्बन्धित हैं जो एक विशेष धर्म से जुड़े होते हैं। यह भारतीय रीति-रिवाजों और परम्पराओं को रंगीन आयाम प्रदान करते हैं। इसी तरह सभी धर्म उनके विशेष आभूषण रखते हैं।
  4. भारत अपने धर्मों और रीति-रिवाजों के साथ एक बहुत बड़ा देश बन गया है। भारत में त्यौहारों, धार्मिक समारोह, वेशभूषाओं, विवाह, आर्किटेक्चर, गीत, चित्र, नृत्य, खाने की आदतों के साथ बहुत रीति-रिवाज होते हैं। हालांकि भारत के रीति-रिवाज और परम्परा भिन्न हैं, जिसमें बाँधने की शक्ति है, जो अन्त में भारत की एकता का एक बन्धकारी स्रोत है।

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