समाचार पत्रों की उपयोगिता पर निबन्ध- Essay on Newspaper in Hindi
समाचार पत्र पर निबन्ध - Essay on Newspaper in Hindi
इस निबन्ध के अन्य शीर्षक-
- समाचार-पत्रों का महत्त्व
- दैनिक जीवन में समाचार पत्रों की उपयोगिता।
- समाचार-पत्र
रूपरेखा-
1. प्रस्तावना, 2. संसार की स्थिति का ज्ञान, 3. नागरिकता का ज्ञान, 4. साहित्यिक उन्नति; 5. मनोरंजन का साधन; 6. व्यापार में सहायक, 7. शासन में सुधार, 8. अन्तराष्ट्रीय महत्त्व, 9. उपसंहार।
समाचार-पत्रों से होता विविध ज्ञान अनुमान।
अखिल विश्व का कर सकते हैं घर बैठे सन्धान॥
विविध विचारों का उद्घाटन विज्ञापन आधार।
भिन्न दलों के आलोचन से शासन का उद्धार ॥
प्रस्तावना-
मनुष्य एक जिज्ञासु प्राणी है। उसकी ज्ञान की प्यास कभी बुझती नहीं। जितना ही ज्ञान बढ़ता है उसकी प्यास और बढ़ती जाती है। एक समय था जब मनुष्य का क्षेत्र सीमित था। यातायात के साधन नहीं के बराबर थे। दस-बीस मील तक के मनुष्यों से ही उसकी जान-पहचान हो सकती थी। सौ दो सौ मील जाना मनुष्य के लिए दुष्कर कार्य था। अतः उसका भौगोलिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक ज्ञान भी सीमित था। परन्तु आज विज्ञान के विकास के साथ-साथ मनुष्य के सम्बन्ध व ज्ञान का क्षेत्र भी बढ़ गया है। यातायात के साधनों से काल और स्थान की दूरी बहुत कम हो गयी है। समस्त विश्व आज एक परिवार बन गया है। अत: मनुष्य की ज्ञान-पिपासा और भी अधिक बढ़ गयी है। विज्ञान की कृपा से मुद्रण कला का आविष्कार हुआ है। मुद्रण कला के आविष्कार मे मानव की जिज्ञासा को शान्त करने में महान योगदान दिया। मुद्रण कला की कृपा से ही समाचार-पत्रों का प्रकाशन भी सम्भव हुआ जो आज मानव जीवन के लिए एक आवश्यक वस्तु बन गया है। समाचार-पत्र को पढ़ना अब प्रतिदिन की दिनचर्या का अंग बन गया है। भोजन भौर जल की भाँति प्रतिदिन समाचार-पत्र का सेवन आवश्यक हो गया है।
संसार की स्थिति का ज्ञान-
हम ऊपर कह चुके है कि आज का संसार एक परिवार बन गया है। संसार के प्रत्येक व्यक्ति जानना चाहता है कि विश्व के विभिन्न देशों में आज क्या हो रहा है। समाचार पत्र मानव की इस जिज्ञासा को शान्त करता है। समाचार-पत्र जैसा कि इसके नाम से ही विदित है, समाचारों का पत्र है। उसमें संसार के सभी मुख्य-मुख्य समाचार होतें हैं। हम घर बैठे जान लेते हैं कि अमुक समय में, अमुक स्थान पर या अमुक नगर में आज क्या घटना हुई। विभिन्न देशों, स्थानों या नगरों के समाचार हमें घर बैठे ही मिल जाते हैं।
नागरिकता का ज्ञान-
समाचार-पत्र प्रचार का भी मुख्य साधन बन गया है। उसमें विभिन्न विचारधाराओं की आलोचना होती है जिससे जनता को राजनीतिक विचारधाराओं की जानकारी होती है। वे सरकार विरोधी दलों के विषय में अपना दृष्टिकोण निश्चित करते हैं। समाचार-पत्रों के द्वारा जनमत को किसी विशेष दल के अनुकूल अथवा प्रतिकूल बनाने मे काफी सहायता मिलती है।
साहित्यिक उन्नति-
समाचार-पत्रों के प्रकाशन से साहित्यिक क्षेत्र में भी बहुत लाभ हुआ है। आज समाचार-पत्रों में विशेष रूप से साप्ताहिक और मासिक पत्रिकाओं में अनेक कहानियाँ, निबन्ध, महापुरुषों की जीवनी तथा एकांकी नाटक प्रकाशित होते है जिनसे साहित्य की उन्नति में पर्याप्त सहायता मिलती है।
मनोरंजन का साधन-
समाचार-पत्र मनोरंजन का भी उत्तम साधन है। समाचार-पत्रों से हम फुरसत के समय अनेक निबन्ध व कहानियाँ पढ़कर अपना मनोरंजन करते है। समाचार-पत्रों में बहुत-सी कविताएँ भी प्रकाशित होती हैं जिनसे अच्छा मनोरंजन हो सकता है। कुछ पत्रिकाएँ तो विशेष रूप से साहित्य के प्रकाशन का ही काम करती हैं। 'सरस्वती', 'कादम्बिनी' आदि पत्रिका इसी प्रकार की पत्रिका है। 'चन्दामामा', 'नन्दन' आदि कुछ पत्रिकाओं में बच्चों के लिए उपयोगी सामग्री प्रकाशित होती है जो बच्चों के मनोरंजन के साथ साथ उनकी ज्ञानवृद्धि में सहायक होती है।
व्यापार में सहायक-
व्यापारिक उन्नति में भी समाचार-पत्र बहुत सहायता करते हैं। समाचार-पत्रों में अनेक वस्तुओं के विज्ञापन छपते है जिनसे उनका प्रचार होता है और बाजार में मांग बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त विशेष वस्तुओं के विभिन्न बाजारों के भाव भी समाचार-पत्रों में प्रकाशित होते हैं जिससे व्यापारिक लोगों को क्रय-विक्रय में काफी सहायता मिलती है और वे आवश्यकतानुसार अपने माल का आयात-निर्यात करते हैं।
शासन में सुधार-
आज के युग में अधिकतर देशों में प्रजातन्त्र शासन प्रणाली है, जिसमें प्रत्येक नागरिक को अपने विचार प्रकट करने और सरकार की आलोचना करने का पूर्ण अधिकार होता है। समाचार-पत्रों में विभिन्न दलो और विचारों के लोगों के विचार, सरकार की आलोचना, शासन व्यवस्था की कमियाँ, जनता की आवश्यकताएँ प्रकाशित होती हैं। सरकार को इन आलोचनाओं, विचारधाराओं और आवश्यकताओं पर ध्यान देना पड़ता है। आलोचनाओं के भय से सरकार शासन व्यवस्था में सुधार करती है। अपनी नीतियों में संशोधन करती है और जनता की मांगों की पूर्ति करने का प्रयत्न करती है। इस प्रकार समाचार-पत्र जनता और सरकार में सम्बन्ध स्थापित करने वाली बीच की कड़ी हैं। यह समाचार-पत्रों का राष्ट्रीय महत्त्व है।
अन्तर्राष्ट्रीय महत्व-
अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टि से समाचार-पत्रों के द्वारा हम जान सकते हैं कि किस देश की क्या नीति है? कौन-सा देश किस क्षेत्र में और, किन, साधनों से अधिक उन्नति कर रहा है? कौन देश सभ्यता और संस्कृति की किस सीढ़ी तक पहुँच गया है? प्रत्येक देश की सामाजिक और राजनैतिक स्थिति को जानकर ही हम आज के युग में जीवित रह सकते हैं, तभी विश्वमैत्री की भावना जाग्रत हो सकती है।
उपसंहार-
इस प्रकार समाचार-पत्रों की सहायता से अच्छी नागरिकता का विकास होता है। यद्यपि कभी-कभी समाचार-पत्र झूठे विज्ञापनों तथा गलत प्रचार के द्वारा देश और समाज को हानि भी पहुंचाते हैं परन्तु ऐसा तभी होता है जब पत्रों के सम्पादक अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर संकीर्ण एवं दलगत विचारों का प्रचार करने लगते हैं। मिथ्या समाचारों और विज्ञापनों द्वारा कभी-कभी जनता को लूटा अवश्य जाता है परन्तु यह दोष समाचार-पत्रों का नहीं, उनके सम्पादकों और संचालकों का है। पत्र संचालकों एवं सम्पादकों को बलगत विचारो से ऊपर उठना चाहिए। यदि वे अपने उत्तरदायित्व को समझें और कर्तव्य का पालन करें तो उनके द्वारा व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का महान उपकार हो सकता है।