बाढ़ के दृश्य पर निबंध | Essay on flood in Hindi

बाढ़ का दृश्य

Essay on flood in Hindi

इस निबन्ध के अन्य शीर्षक-

  • बाढ़ की विभीषिका।
  • बाढ़ के दृश्य का वर्णन।

रूपरेखा–

1. प्रस्तावना
2. तीव्र जलवृष्टि
3. बाढ़ की चेतावनी
4. जल-विस्तार
5. जल की ब्यापकता एवं गम्भीरता
6. करुणापूर्ण स्थिति
7. सहायता कार्य
8. हानियाँ
9. उपसंहार

प्रस्तावना– 

भारत में क्षण-क्षण पर प्रकृति के विविध रुप देखे जा सकते हैं। एक ओर हरे-भरे जंगल, लहराते खेत, रंग-बिरंगे पुष्प आदि का अपार सौन्दर्य फैला है तो दूसरी ओर ऊबड़-खाबड़ जमीन, दुर्गम चट्टाने कँटीले तथा कंकरीले मार्ग हैं। प्रकृति देवी प्रसन्‍न होती हैं तो झोली रत्नों से भर देती है और कुपित होती है तो सब कुछ नष्ट-भ्रष्ट कर देती है। जो वर्षा समय पर ठीक प्रकार आकर हरी-हरी फसलें उगाती है, वही असमय भयंकर रुप धारण कर फसल, घर, ग्राम, नगर आदि को बहाती हुई चली जाती है तथा धन-जन का विनाश कर डालती है।

तीव्र जलबृष्टि– 

एक दिन दोपहर बाद अचानक ही बादल घिर आये। सभी ओर अंधेरा छा गया। कुछ ही क्षणों में तीब्र जल वृष्टि होने लगी। लगातार शाम तक तथा प्रात: काल तक बर्षा होती रही। इस मूसलाधार वर्षा का पानी चारों ओर फैल गया। अपार जल राशि उमड़ रही थी। नाली-नाले, तालाब, नदी आदि सभी उफन पड़े।

बाढ़ की चेतावनी– 

आगरा में इस वर्षा की विषमता की देखकर अधिकारियों ने नगरवासियों को अतिवृष्टि से होने बाले बाढ़ के प्रकोप की चेतावनी देना प्रारम्भ कर दिया। दिल्ली, मथुरा आदि यमुना किनारे के नगरों में बाढ़ आ गयी थी; अतः रेडियो, समाचार-पत्र, दूरदर्शन आदि में उन्हीं के साथ आगरा का भी नाम जुड़ गया। सभी से सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा जा रहा था। क्योंकि कि यमुना का जलस्तर दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा था। यमुना जल के बहाव की तीव्रता देखकर सभी भयभीत हो रहे थे।

जल-विस्तार– 

आगरा तथा उसके चारों ओर पानी ही पानी दिखायी देता था। नगर के निचले भागों के घरों में पानी भरा था। अपार सामान, सम्पत्ति आदि डूब रही तथा बह रही थी। सभी ओर का पानी यमुना नदी में आ रहा था। अतः नदी में पानी इतनी तेजी से बढ़ा कि दोनों ओर के किनारों को डुबोकर बाहर फैलाने लगा। पीछे के जल के प्रवाह से नदी का विस्तार मीलों चौड़ा हो गया जनता त्राहि मां, त्राहि मां  कर रही थी तथा चारों ओर इस बाढ़ की ही भयकारिणी चर्चाएँ थीं। मैं भी अपने मित्रों के साथ बाढ़ के व्यापक रूप देखने चल दिया।

जल की व्यापकता एवं गम्भीरता– 

हम सभी यमुना के नेहरू पुल पर पहुँचे। हमने जो लोगों से सुना था। उससे कई गुनी जल राशि वहां दिखाई दी। चारों ओर जल ही जल था। घर, वृक्ष, सड़क आदि सब पानी में निमग्न थे। हमने दूरबीन से देखा किन्तु कुछ ऐतिहासिक मीनारों की चोटियों के अतिरिक्त कुछ भी दिखायी नहीं पड़ रहा था। जल का जितना विस्तार था, उतनी ही गहराई भी थी। ऐसा लग रहा था कि मानो इन्द्र देवता सभी को समेटकर कहीं एक स्थान पर ले जाना चाहते हैं।

करुणापूर्ण स्थिति– 

भयानक रूप में फैली बाढ़ को देखकर लगता था कि कोई देवी प्रकोप है जिससे धन तथा जन का बचपाना असम्भव है। हरी फसलें जल में बही चली-जा रही थी। किसानों की झोपड़ी, आदमी, पशु-पक्षी आदि इस जल प्रवाह में बहे जा रहे थे। अनेक प्रकार के क्रन्दनपूर्ण दृश्य दिखाई दे रहे थे। यह अप्रत्याशित घटना थी अतः अनेक लोग, गाँव घर तथा खेत इसकी चपेट में आ गये थे। डूबते हुए घरों से चीत्कार निकल रहा था। चारों ओर हाहाकार मचा था। सभी ओर विनाश का भयंकर तांडव नृत्य दिखायी पड़ रहा था।

सहायता कार्य– 

अनेक समाज सेवी लोगों तथा संस्थाओं, ने बाढ़ में सहायता कार्य प्रारम्भ कर दिये। बाढ़ में फंसे लोगों की सहायता हेतु नाव, स्ट्रीमर डॉगी आदि नदी में प्रवेश कर रही थी। उनमे खाने की सामग्री कपड़े आदि रखे थे। बहते हुए लोगों को निकाला जा रहा था। शासन नी ओर से व्यक्ति बाढ़ से सुरक्षा करने के लिए कार्य कर रहे थे। सेना के जवान भी सभी उपकरणों सहित सहायता कर रहें थे। यह देखकर लग रहा था कि आज की व्यक्तिवादी दुनियाँ में भी सहदय व्यक्तियों का अभाव नही है।

हानियाँ– 

बाढ़ में धन-जन की अपार क्षति हो रही थी। हजारों मनुष्य स्त्री मर रहे थे। कुछ अपने परिवारों, घरों आदि से बिछुड़कर कहीं के कहीं पहुंच रहे थे। बच्चे माँ के लिए तथा माँ बच्चों के लिए आकुल-व्याकुल हो रहीं थीं। घर बहे चले जा रहे थे, गिर रहे थे तथा उनके नीचे आदमी, पशु दब रहे थे। भयानक जल राशि हरी-भरी खेती को रौंद रही थी। इस बाढ़ के कारण अनेक प्रकार की हानियां हो रहीं थीं।

उपसंहार

इस भयंकर दृश्य को देखकर सभी की आँखों में आंसू भरे थे। सभी का मन उदास था। अन्तर को उद्बेलित करने वाली यह भयंकर विपत्ति ईण्वरीय प्रक्रोप का प्रत्यक्ष संकेत थी।

रात्रि के समय पानी उतर गया। लगभग सभी मकानों की दीदारों में दरारें पड़ गयी थी। लकड़ी का सामान फूल गया था। कमरों के 'वुड वर्क' की हालत देखकर रोने के साथ हंसी भी आ रही थी। आस पास के क्षेत्रों में रहने वाले कुछ निर्धन व्यक्ति काल-कवलित भी हों चुके थे।

हमें ऐसा लग रहा था कि मानों ईश्वर ने हमे पुनर्जीवन प्रदात किया था।

Next Post Previous Post