आतंकवाद पर निबंध - Essay on Terrorism in Hindi
आतंकवाद पर निबंध- भारत मे आतंकवाद एक गंभीर समस्या के रूप मे सामने खड़ी रहती है अगर आपके परीक्षा मे निबंध लेखन मे आतंकवाद या इसके अन्य शीर्षक पूछे जाते हैं तो इसी प्रकार से निबंध लिखा जाएगा।
आतंकवाद निबंध के अन्य शीर्षक
- आतंकवाद : समस्या एवं समाधान
- भारत में आतंकवाद की समस्या
- आतंकवाद : एक भयावह समस्या
- आतंकवाद : कारण एवं निवारण
- भारत में आतंकवाद के बढ़ते कदम
भारत में आतंकवाद पर निबंध - Essay on Terrorism in India in Hindi
प्रस्तावना
मनुष्य भय से निष्क्रिय और पलायनवादी बन जाता है। इसीलिए लोगों में भय उत्पन्न करके कुछ असामाजिक तत्व अपने नीच स्वार्थों की पूर्ति करने का प्रयास करने लगते हैं। इस कार्य के लिए वे हिंसापूर्ण साधनों का प्रयोग करते हैं। ऐसी स्थितियां ही आतंकवाद का आधार है। आतंक फैलाने वाले आतंकवादी कहलाते हैं। यह कहीं से बनकर नहीं आते। यह भी समाज के एक ऐसे अंग है, जिनका काम आतंकवाद के माध्यम से किसी धर्म, समाज अथवा राजनीति का समर्थन कराना होता है। यह शासन का विरोध करने में बिल्कुल नहीं हिचकते तथा जनता को अपनी बात मनवाने के लिए विवश करते रहते हैं।आतंकवाद का अर्थ
'आतंक+वाद' से बने इस शब्द का सामान्य अर्थ है- आतंक का सिद्धांत। यह अंग्रेजी के टेररिज्म शब्द का हिंदी रुपांतर है। आतंक का अर्थ होता है- पीड़ा, डर, आशंका। इस प्रकार आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है, जो अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बल प्रयोग में विश्वास रखती है। ऐसा बल प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग, समुदाय या संप्रदाय को भयभीत करने और उस पर अपनी प्रभुता स्थापित करने की दृष्टि से किया जाता है। आतंक, मौत, त्रास ही इनके लिए सब कुछ होता है। आतंकवादी यह नहीं जानते हैं कि
कौन कहता है कि मौत को अंजाम होना चाहिए।
जिंदगी को जिंदगी का पैगाम होना चाहिए।।
जिंदगी को जिंदगी का पैगाम होना चाहिए।।
आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या
आज लगभग समस्त विश्व में आतंकवाद सक्रिय है। ये आतंकवादी समस्त विश्व में राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए सार्वजनिक हिंसा और हत्याओं का सहारा ले रहे हैं। भौतिक दृष्टि से विकसित देशो में तो आतंकवाद की इस प्रवृत्ति ने विकराल रुप ले लिया है। कुछ आतंकवादी गुटों ने तो अपने अंतर्राष्ट्रीय संगठन बना लिए हैं। जे० सी० स्मिथ ने अपनी बहुचर्चित पुस्तक 'लीगल कंट्रोल ऑफ इंटरनेशनल टेररिज्म' में लिखते हैं कि इस समय संसार में जैसा तनावपूर्ण वातावरण बना हुआ है, उसको देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भविष्य में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद में और तेजी आएगी। किसी देश द्वारा अन्य देश में आतंकवादी गुटों का समर्थन देने की घटनाएं बढ़ेंगी। राजनयिकों की हत्याएं, विमान अपहरण की घटनाएं बढ़ेंगी; और रासायनिक हथियारों का प्रयोग अधिक तेज होगा। श्रीलंका ने में तमिलों, जापान में रेड आर्मी, भारत में सिख होम लैंड और स्वतंत्र कश्मीर चाहने वालों आदि के हिंसात्मक संघर्ष आतंकवाद की श्रेणी में आते हैं।भारत में आतंकवाद
स्वाधीनता के पश्चात भारत के विभिन्न भागों में अनेक आतंकवादी संगठनों द्वारा आतंकवादी हिंसा फैलाई गई। इन्होंने बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया, और इतना आतंक फैलाया की अनेक अधिकारियों ने सेवा से त्याग पत्र दे दिए। भारत के पूर्वी राज्यों नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और असम में भी अनेक बार उग्र आतंकवादी हिंसा फैली। किन्तु अब यहां असम के बोडो आतंकवाद को छोड़कर से सभी शांत हैं। बंगाल के नक्सलवाड़ी से जो नक्सलवादी आतंकवाद पनपा था। वह बंगाल से भी बाहर भी खूब फैला। बिहार तथा आंध्र प्रदेश अभी भी उसकी भयंकर आग से झुलस रहे हैं।
कश्मीर घाटी में भी पाकिस्तानी तत्वों द्वारा प्रेरित आतंकवादी प्रायः राष्ट्रीय पर्वों जैसे- 15 अगस्त 26 जनवरी 2 अक्टूबर आदि पर भयंकर हत्याकांड कर अपने अस्तित्व की घोषणा करते रहते हैं। इन्होंने कश्मीर की सुकोमल घाटी को अपनी आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बनाया हुआ है। आये दिन निर्दोष लोगों की हत्या की जा रही हैं। और उन्हें आतंकित किया जा रहा है, जिससे वह अपने घर, दुकानें और कारखाने छोड़कर भाग खड़े हों ऐसा कोई भी दिन नहीं बीतता जिस दिन समाचार पत्रों में किसी आतंकवादी घटना में 10-5 लोगों के मारे जाने की खबर ना छपी हो। स्वातंत्र्योत्तर आतंकवादी गतिविधियों में सबसे भयंकर रहा पंजाब का आतंकवाद। 20वीं शताब्दी की नवीं शदी में पंजाब में जो कुछ हुआ उसे पूरा देश विक्षुब्ध और हतप्रभ रह गया।
पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार से कश्मीर और अब देश के अन्य भागों में भी बरपाई जाने वाली और दिल दहला देने वाली घटनाएं आतंकवाद का सबसे घिनौना रूप हैं। सीमा पार के आतंकवादी हम लोग में अब तक एक लाख से भी अधिक लोगों की जानें जा चुकी है। हाल के वर्षों में संसद पर हमला हुआ इंडियन एयर लाइन्स के विमान 814 का अपहरण कर उसे कंधार ले जाया गया फिर चिट्ठी सिंहपुरा में सिक्खों का कत्लेआम किया गया तथा अमरनाथ यात्रियों पर हमले किए गये।
जिम्मेदार कौन?
आतंकवादी गतिविधियों को गुप्त और अप्रत्यक्ष रूप से प्रश्रय देने वाला अमेरिका भी अंततः अपने खोदे हुए गड्ढे में खुद ही गिर गया। राजनैतिक मुखौटों में छिपी उस की काली करतूतें अविश्वसनीय रुप से उजागर हो गई। जब उसके प्रसिद्ध शहर न्यूयॉर्क में 11 सितंबर, 2001 को वर्ल्ड ट्रेड टावर पर आतंकवादी हमला हुआ। अन्य देशो पर भी हमले करवाने में अग्रगण्य इस देश पर हुए इस वज्र बाद वज्रपात पर सारा संसार अचंभित रह गया। 'ओसामा बिन लादेन' नामक हमले के उत्तरदाई आतंकवादी को ढूंढने में अमेरिकी सरकार ने जो सरगर्मियां दिखाईं उसने सिद्ध कर दिया कि जब तक कोई देश स्वयं पीड़ा नहीं झेलता तब तक उसे पराए की पीड़ा का अनुभव नहीं हो सकता। भारत वर्षों से चीख-चीख कर सारे विश्व के सामने यह अनुरोध करता आया था कि पाकिस्तान अमेरिका द्वारा दी गई आर्थिक और अस्त्र शस्त्र संबंधी सहायता का उपयोग भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए कर रहा है। अतः अमेरिका, पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करे और उसे किसी भी किस्म की सहायता देना बंद करे। किंतु भारतीयों के मारे जाने से अमेरिकी राष्ट्राध्यक्षों का या देश का कोई नुकसान नहीं होता लेकिन पाकिस्तान का पोषण करते रहने से, उन्हें इस समस्त दक्षिण एशियाई क्षेत्र पर दृष्टि रखने के लिए एक सैन्य क्षेत्र अवश्य मिला है।आतंकवाद के विविध रुप-
भारत के आतंकवादी गतिविधि निरोधक कानून 1985 ई में आतंकवाद पर विस्तार से विचार किया गया है, और आतंकवाद को तीन भागों में बाटा गया है-
(1) समाज के एक वर्ग विशेष को अन्य वर्गों से अलग थलग करने और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच व्याप्त आपसी सौहार्द को खत्म करने के लिए की गई हिंसा।
(2) ऐसा कोई कार्य जिस में ज्वलनशील बम तथा अग्नि शास्त्रों का प्रयोग किया गया हो।
(3) ऐसी हिंसात्मक कार्यवाही, जिसमे एक या उससे अधिक व्यक्ति मारे गए हों या घायल हुए हों, आवश्यक सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा हो तथा संपत्ति को हानि पहुंची हो। इसके अंतर्गत प्रमुख व्यक्तियों का अपहरण या हत्या या उन्हें छोड़ने के लिए सरकार के सामने उचित अनुचित मांगे रखना, वायुयान का अपहरण, बैंक डकैतियाँ सम्मिलित हैं।
आतंकवाद का समाधान
भारत में विषमतम स्थिति तक पहुंचे आतंकवाद के समाधान पर संपूर्ण देश के विचारको और चिंतकों ने अनेक सुझाव रखे किंतु यह समस्या अभी ही भी अनसुलझी ही है। इस समस्या का वास्तविक हल ढूंढने के लिए सर्वप्रथम यह आवश्यक है, कि सांप्रदायिकता का लाभ उठाने वाले सभी राजनीतिक दलों की गतिविधियों में परिवर्तन हो। सांप्रदायिकता के इस दोष से आज भारत के सभी राजनीतिक दल न्यूनाधिक रुप में दूषित अवश्य है।
दूसरे, सीमा पार से प्रशिक्षित आतंकवादियों के प्रवेश और वहां से भेजे जाने वाले हथियारों तथा विस्फोटक पदार्थ पर कड़ी चौकसी रखनी होगी, तथा सुरक्षा बलों को आतंकवादियों की अपेक्षा अधिक अत्याधुनिक अस्त्र शस्त्र से लैस करना होगा।
तीसरे, आतंकवाद को महिमामंडित करने वाली युवकों की मानसिकता बदलने के लिए आर्थिक सुधार करने होंगे।
चौथे, राष्ट्र की मुख्यधारा के अंतर्गत संविधान का पूर्णतः पालन करते हुए पारस्परिक विचार-विमर्श से सिखों, कश्मीरियों और असामियों की मांगों का न्याय उचित समाधान करना होगा और तुष्टिकरण की नीति को त्यागकर समग्र राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करना होगा।
पांचवें, कश्मीर के आतंकवाद को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सख्ती से कुचलना होगा इसके लिए सभी राजनैतिक दलों को सार्थक पहल करनी होगी। यदि संबंधित पक्ष इन बातों का ईमानदारी से पालन करें तो इस महा रोग से मुक्ति संभव है।