टेढ़ी खीर - हिन्दी मुहावरा कहानी
टेढ़ी खीर होना मुहावरे का क्या अर्थ है? - टेढ़ी खीर मुहावरे का अर्थ है बहुत मुश्किल, यानि जिस काम को करना बहुत ही मुश्किल हो।
खीर टेढ़ी कैसे हुई और क्यों हुई? - खीर टेढ़ी होने के पीछे एक मजेदार कहानी है। जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं। जब आप किसी काम को नही कर पा रहे होते हैं। तब आप बहुत आसानी से कह देते हैं "बड़ी टेढ़ी खीर है", लेकिन क्या आपको वास्तव मे टेढ़ी खीर का अर्थ पता है, इसके पीछे का किस्सा क्या है। नीचे कहानी पढ़कर आपको स्पष्ट हो जाएगा की आखिर टेढ़ी खीर का मतलब क्या है?
टेढ़ी खीर - हिन्दी मुहावरा कहानी
एक नवयुवक था। छोटे से क़स्बे का। अच्छे खाते-पीते घर का लेकिन सीधा-सादा और सरल सा। बहुत ही मिलनसार।
एक दिन उसकी मुलाक़ात अपनी ही उम्र के एक नवयुवक से हुई। बात-बात में दोनों दोस्त हो गए। दोनों एक ही तरह के थे। सिर्फ़ दो अंतर थे, दोनों में। एक तो यह था कि दूसरा नवयुवक बहुत ही ग़रीब परिवार से था और अक्सर दोनों वक़्त की रोटी का इंतज़ाम भी मुश्किल से हो पाता था। दूसरा अंतर यह कि दूसरा जन्म से ही नेत्रहीन था। उसने कभी रोशनी देखी ही नहीं थी। वह दुनिया को अपनी तरह से टटोलता-पहचानता था।
लेकिन दोस्ती धीरे-धीरे गाढ़ी होती गई। अक्सर मेल मुलाक़ात होने लगी।
एक दिन नवयुवक ने अपने नेत्रहीन मित्र को अपने घर खाने का न्यौता दिया। दूसरे ने उसे ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार किया। दोस्त पहली बार खाना खाने आ रहा था। अच्छे मेज़बान की तरह उसने कोई कसर नहीं छोड़ी। तरह-तरह के व्यंजन और पकवान बनाए। दोनों ने मिलकर खाना खाया। नेत्रहीन दोस्त को बहुत आनंद आ रहा था। एक तो वह अपने जीवन में पहली बार इतने स्वादिष्ट भोजन का स्वाद ले रहा था। दूसरा कई ऐसी चीज़ें थीं जो उसने अपने जीवन में इससे पहले कभी नहीं खाईं थीं। इसमें खीर भी शामिल थी।
खीर खाते-खाते उसने पूछा,
"मित्र, यह कौन सा व्यंजन है, बड़ा स्वादिष्ट लगता है।"
मित्र ख़ुश हुआ। उसने उत्साह से बताया कि यह खीर है।
सवाल हुआ, "तो यह खीर कैसा दिखता है?"
"बिलकुल दूध की तरह ही। सफ़ेद।"
जिसने कभी रोशनी न देखी हो वह सफ़ेद क्या जाने और काला क्या जाने। सो उसने पूछा, "सफ़ेद? वह कैसा होता है।" मित्र दुविधा में फँस गया। कैसे समझाया जाए कि सफ़ेद कैसा होता है। उसने तरह-तरह से समझाने का प्रयास किया लेकिन बात बनी नहीं।
आख़िर उसने कहा, "मित्र सफ़ेद बिलकुल वैसा ही होता है जैसा कि बगुला।"
"और बगुला कैसा होता है।"
यह एक और मुसीबत थी कि अब बगुला कैसा होता है यह किस तरह समझाया जाए। कई तरह की कोशिशों के बाद उसे तरक़ीब सूझी। उसने अपना हाथ आगे किया, उँगलियाँ को जोड़कर चोंच जैसा आकार बनाया और कलाई से हाथ को मोड़ लिया। फिर कोहनी से मोड़कर कहा,
"लो छूकर देखो कैसा दिखता है बगुला।"
दृष्टिहीन मित्र ने उत्सुकता में दोनों हाथ आगे बढ़ाए और अपने मित्र का हाथ छू-छूकर देखने लगा। हालांकि वह इस समय समझने की कोशिश कर रहा था कि बगुला कैसा होता है लेकिन मन में उत्सुकता यह थी कि खीर कैसी होती है।
जब हाथ अच्छी तरह टटोल लिया तो उसने थोड़ा चकित होते हुए कहा, "अरे बाबा, ये खीर तो बड़ी टेढ़ी चीज़ होती है।" वह फिर खीर का आनंद लेने लगा। लेकिन तब तक खीर ढेढ़ी हो चुकी थी। यानी किसी भी जटिल काम के लिए मुहावरा बन चुका था "टेढ़ी खीर।"
Skunk - Idiom Story
There was a young man. Small town Well-eaten house but simple and simple Very friendly
One day he met a young man of his own age. Both friends became friends in the talk. Both were of the same kind. There were only two differences, both in. One was that the second young man was from a very poor family, and often it was difficult to arrange bread for both times. The second difference is that the second was visually impaired from birth. He had never seen the light. He knew the world in his own way.
But the friendship gradually became thicker. Often mails started coming up.
One day the young man invited his blind person to eat his house. The other accepted him gladly.
The friend was coming to eat for the first time. Like a good host, he did not leave any stone unturned. Make a variety of dishes and dishes.
Both eat together food. Blind friend was very pleased. One, he was tasting so delicious food for the first time in his life. There were many other things that he had never eaten before in his life. Kheer was also included in it.
He asked,
"Friend, which dish is it, it looks delicious."
Friend happy. He enthusiastically told that it is kheer.
The question is, "So what does this kheer look like?"
"Just like milk. White."
The one who has never seen the light, what is white and what is black? So he asked, "How is he white?"
The friend got trapped in the dilemma. How to explain how white happens. He tried to explain in different ways but the matter was not discussed.
After all he said, "Friend white is exactly the same as the heron."
"And how are the herds?"
It was another problem that how the heron is now how it is explained. After several attempts, he will be able to succeed. He made his hands forward, by adding fingers, made a beak like a beak and folded his hand with a wrist. Then turned from the elbow and said,
"Take a look and see what kind of a heron."
The visually impaired friend moved forward in anxiety and started touching his friend's hand. Although he was trying to understand how the heron is, but the curiosity in the mind was how Kheer is.
When the hand took a close look, he was astonished and said, "O Baba, this kheer is a very big thing." She then started enjoying Kheer. But till then the kheer had been cut. That is, the idiom was made for any complex work "Kadhi Kheer."