कल, आज और कल - अकबर बीरबल की कहानी
Akbar Birbal Story - आज के इस पोस्ट मे आपको अकबर बीरबल की कहानी कल, आज और कल पढ़ने को मिलेगी। बादशाह अकबर और महामंत्री बीरबल की कहानियो को पढ़कर आपको आनंद की प्राप्ति तो जरूर होती होगी। बीरबल अपने चातुर्य का परिचय समय समय पर अपने राजा अकबर को देते रहते थे। अकबर बीरबल की कहानियाँ, बीरबल की चतुरता के कारण ही तो अपनी अलग पहचान रखती हैं। चलिये पढ़ते है पूरी कहानी कल, आज और कल
कल, आज और कल - अकबर बीरबल की कहानी
एक दिन बादशाह अकबर ने ऐलान किया कि जो भी मेरे सवालों का सही जवाब देगा उसे भारी ईनाम दिया जाएगा। सवाल कुछ इस प्रकार से थे-
ऐसा क्या है जो आज भी है और कल भी रहेगा ?
ऐसा क्या है जो आज भी नहीं है और कल भी नहीं होगा ?
ऐसा क्या है जो आज तो है लेकिन कल नहीं होगा ?
ऐसा क्या है जो आज भी नहीं है और कल भी नहीं होगा ?
ऐसा क्या है जो आज तो है लेकिन कल नहीं होगा ?
इन तीनों सवालों के उदाहरण भी देने थे।
किसी को भी चतुराई भरे इन तीनों सवालों का जवाब नहीं सूझ रहा था। तभी बीरबल बोला, ‘‘हुजूर ! आपके सवालों का जवाब मैं दे सकता हूं, लेकिन इसके लिए आपको मेरे साथ शहर का दौरा करना होगा। तभी आपके सवाल सही ढंग से हल हो पाएंगे।’’
अकबर और बीरबल ने वेश बदला और सूफियों का बाना पहनकर निकल पड़े। कुछ ही देर बाद वे बाजार में खड़े थे। फिर दोनों एक दुकान में घुस गए। बीरबल ने दुकानदार से कहा, ‘‘हमें बच्चों की पढ़ाई के लिए मदरसा बनाना है, तुम हमें इसके लिए हजार रुपये दे दो।’’ जब दुकानदार ने अपने मुनीम से कहा कि इन्हें एक हजार रुपये दे दो तो बीरबल बोला, जब मैं तुमसे रुपये ले रहा हूंगा तो तुम्हारे सिर पर जूता मारूंगा। हर एक रुपये के पीछे एक जूता पड़ेगा। बोलो, तैयार हो ?’’
यह सुनते ही दुकानदार के नौकर का पारा चढ़ गया और वह बीरबल से दो-दो हाथ करने आगे बढ़ आया। लेकिन दुकानदार ने नौकर को शांत करते हुए कहा, ‘‘मैं तैयार हूँ, लेकिन मेरी एक शर्त है। मुझे विश्वास दिलाना होगा कि मेरा पैसा इसी नेक काम पर खर्च होगा।’’
ऐसा कहते हुए दुकानदार ने सिर झुका दिया और बीरबल से बोला कि जूता मारना शुरू करें। तब बीरबल व अकबर बिना कुछ कहे-सुने दुकान से बाहर निकल आए।
दोनों चुपचाप चले जा रहे थे कि तभी बीरबल ने मौन तोड़ा, ‘‘बंदापरवर ! दुकान में जो कुछ हुआ उसका मतलब है कि दुकानदार के पास आज पैसा है और उस पैसे को नेक कामों में लगाने की नीयत भी, जो उसे आने वाले कल (भविष्य) में नाम देगी। इसका एक मतलब यह भी है कि अपने नेक कामों से वह जन्नत में अपनी जगह पक्की कर लेगा। आप इसे यूं भी कह सकते हैं कि जो कुछ उसके पास आज है, कल भी उसके साथ होगा। यह आपके पहले सवाल का जवाब है।’’
फिर वे चलते हुए एक भिखारी के पास पहुंचे। उन्होंने देखा कि एक आदमी उसे कुछ खाने को दे रहा है और वह खाने का सामान उस भिखारी की जरूरत से कहीं ज्यादा है। तब बीरबल उस भिखारी से बोला, ‘‘हम भूखे हैं, कुछ हमें भी दे दो खाने को।’’
यह सुनकर भिखारी बरस पड़ा, ‘‘भागो यहां से। जाने कहां से आ जाते हैं मांगने।’’
तब बीरबल बादशाह से बोला, ‘‘यह रहा हुजूर आपके दूसरे सवाल का जवाब। यह भिखारी ईश्वर को खुश करना नहीं जानता। इसका मतलब यह है कि जो कुछ इसके पास आज है, वो कल नहीं होगा।’’
दोनों फिर आगे बढ़ गए। उन्होंने देखा कि एक तपस्वी पेड़ के नीचे तपस्या कर रहा है। बीरबल ने पास जाकर उसके सामने कुछ पैसे रखे। तब वह तपस्वी बोला, ‘‘इसे हटाओ यहां से। मेरे लिए यह बेईमानी से पाया गया पैसा है। ऐसा पैसा मुझे नहीं चाहिए।’’
अब बीरबल बोला, ‘‘हुजूर ! इसका मतलब यह हुआ कि अभी तो नहीं है लेकिन बाद में हो सकता है। आज यह तपस्वी सभी सुखों को नकार रहा है। लेकिन कल यही सब सुख इसके पास होंगे।’’
‘‘और हुजूर ! चौथी मिसाल आप खुद हैं। पिछले जन्म में आपने शुभ कर्म किए थे जो यह जीवन आप शानो-शौकत के साथ बिता रहे हैं, किसी चीज की कोई कमी नहीं। यदि आपने इसी तरह ईमानदारी और न्यायप्रियता से राज करना जारी रखा तो कोई कारण नहीं कि यह सब कुछ कल भी आपके पास न हो। लेकिन यह न भूलें कि यदि आप राह भटक गए तो कुछ साथ नहीं रहेगा।’’
अपने सवालों के बुद्धिमत्तापूर्ण चतुराई भरे जवाब सुनकर बादशाह अकबर बेहद खुश हुए।
Yesterday, Today and Tomorrow - Akbar Birbal Story
One day, King Ahmad announced that anyone who gives the correct answers to my questions will be given a huge reward. The questions were in this way-
What is that which is still today and will be there tomorrow?
What is it that is not even today and will not happen even tomorrow?
What is that today but tomorrow will not happen?
What is it that is not even today and will not happen even tomorrow?
What is that today but tomorrow will not happen?
There were also examples of these three questions.
Nobody could sense the answer to these tricky three questions. Then Birbal said, "Hujoor! I can answer your questions, but for that you have to visit the city with me. Then your questions will be resolved correctly. "
Akbar and Birbal changed hands and went out wearing sufis bana. After a while they were standing in the market. Then both of them went into a shop. Birbal said to the shopkeeper, "We have to make a madrasa for the education of children, you give us a thousand rupees for this." When the shopkeeper asked his accountant to give them a thousand rupees then Birbal said, when I told you I'm taking a buck, I'll shoe on your head. There will be a shoe behind every one buck. Speak, Ready? ''
On hearing this, the shopkeeper's servant got upstairs and he proceeded to give two or two hands to Birbal. But the shopkeeper quieting the servant said, "I am ready, but I have a condition. I have to believe that my money will be spent on this noble cause. "
Saying this, the shopkeeper bowed his head and told Birbal to start shouting. Then Birbal and Akbar came out of the store without saying anything.
Both of them were going silently that Birbal broke silence, "Bandarpur! Whatever happened in the shop means that the shopkeeper has money today and there is a plan to put that money in good deeds, which will give it a name in future tomorrow. It also means that by his good deeds he will make his place in the jannat. You can also say it to him that whatever he has today, he will be with him tomorrow. This is the answer to your first question. "
Then they went near a beggar. They saw that a man was giving him something to eat and that the food was much more than the beggar's needs. Then Birbal said to the beggar, "We are hungry, give us something to eat."
After hearing this, the beggar rained, "Run from here. Where do the people come from? "
Then the Birbal said to the king, "It's been the answer to your second question. This beggar does not know to please God. This means that whatever it has today, it will not happen tomorrow. "
Both went forward again. They saw that austerity is under the auspicious tree. Birbal went near and kept some money in front of him. Then he said the ascetic, "Take it away from here. For me this is a dishonest money. I do not want such money. "
Now say Birbal, "Hujoor! It means that it is not right now but it can happen later. Today the ascetic is rejecting all pleasures. But tomorrow, all this happiness will be with it. "
'' And be sorry! The fourth example is you yourself. In the previous birth, you have done auspicious deeds, which are living this life with you, no shortage of anything. If you continue to rule in the same way honestly and fairly then there is no reason why you should not even have all this tomorrow. But do not forget that if you go astray, then nothing will be left with you. "
Emperor Akbar was very happy after hearing the intelligent answers to his questions.
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