किसका नौकर कौन - अकबर बीरबल की कहानी
किसका नौकर कौन - अकबर बीरबल की कहानी
जब कभी दरबार में अकबर और बीरबल अकेले होते थे तो किसी न किसी बात पर बहस छिड़ जाती थी। एक दिन बादशाह अकबर बैंगन की सब्जी की खूब तारीफ कर रहे थे।
बीरबल भी बादशाह की हां में हां मिला रहे थे। इतना ही नहीं, वह अपनी तरफ से भी दो-चार वाक्य बैंगन की तारीफ में कह देते थे।
अचानक बादशाह अकबर के दिल में आया कि देखें बीरबल अपनी बात को कहां तक निभाते हैं। यह सोचकर बादशाह बीरबल के सामने बैंगन की बुराई करने लगे। बीरबल भी उनकी हां में हां मिलाने लगे कि बैंगन खाने से शारीरिक बीमारियाँ हो जाती हैं इत्यादि।
बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर हैरान हो गए और बोले- “बीरबल! तुम्हारी इस बात का यकीन नहीं किया जा सकता। कभी तुम बैंगन की तारीफ करते हो और कभी बुराई करते हो। जब हमने इसकी तारीफ की तो तुमने भी इसकी तारीफ की और जब हमने इसकी बुराई की तो तुमने। भी इसकी बुराई की, आखिर ऐसा क्यों?”
बीरबल ने नरम लहजे में कहा- “बादशाह सलामत! मैं तो आपका नौकर हूं बैंगन का नौकर नहीं“
Whose servant who - Akbar Birbal Story
Whenever Akbar and Birbal were alone in the court, there was a debate over some thing. One day, King Ashbar was praising the vegetable of eggplant.
Birbal was also getting Yes in the King's Yes. Not only this, he used to say two-four sentences from his side in praise of eggplant.
Akbar suddenly came to Akbar's heart to see how Birbal plays his talk. Thinking this, the king started doing evil of eggplant in front of Birbal. Birbal also started adding yes to their yes that eating eggplants resulted in physical illnesses.
Emperor Akbar was shocked to hear Birbal and said, "Birbal! You can not be sure of this. Sometimes you praise the eggplant and do evil. When we praised it, you also praised it and when we did it, then you did it. Even its evil, why is it so? "
Birbal said in a soft accent- "Badshah salute! I am your servant, not a servant of eggplant "