छोटा बांस, बड़ा बांस - अकबर बीरबल की कहानी
छोटा बांस, बड़ा बांस - अकबर बीरबल की कहानी
एक दिन अकबर व बीरबल बाग में सैर कर रहे थे। बीरबल लतीफा सुना रहा था और अकबर उसका मजा ले रहे थे। तभी अकबर को नीचे घास पर पड़ा बांस का एक टुकड़ा दिखाई दिया। उन्हें बीरबल की परीक्षा लेने की सूझी।
बीरबल को बांस का टुकड़ा दिखाते हुए वह बोले, “क्या तुम इस बांस के टुकड़े को बिना काटे छोटा कर सकते हो ?” बीरबल लतीफा सुनाता-सुनाता रुक गया और अकबर की आंखों में झांका।
अकबर कुटिलता से मुस्कराए, बीरबल समझ गया कि बादशाह सलामत उससे मजाक करने के मूड में हैं।
अब जैसा बेसिर-पैर का सवाल था तो जवाब भी कुछ वैसा ही होना चाहिए था।
बीरबल ने इधर-उधर देखा, एक माली हाथ में लंबा बांस लेकर जा रहा था।
उसके पास जाकर बीरबल ने वह बांस अपने दाएं हाथ में ले लिया और बादशाह का दिया छोटा बांस का टुकड़ा बाएं हाथ में।
बीरबल बोला, “हुजूर, अब देखें इस टुकड़े को, हो गया न बिना काटे ही छोटा।”
बड़े बांस के सामने वह टुकड़ा छोटा तो दिखना ही था।
निरुत्तर बादशाह अकबर मुस्करा उठे बीरबल की चतुराई देखकर।
Small bamboo, big bamboo - Akbar Birbal Story
One day they were walking in Akbar and Birbal Bagh. Birbal was listening to Latifa and Akbar was enjoying it. Then Akbar saw a piece of bamboo lying on the grass below. He thought of testing Birbal.
While showing the piece of bamboo to Birbal, he said, "Can you shorten this bamboo piece without biting?" Birbal Lateefa recited - and stopped listening and Akbar's eyes were flogged.
Smile smiled by Akbar, Birbal understood that the king is in the mood to make fun of him.
Now as the question of basir-foot was, the reply should have been something similar.
Birbal looked around, a gardener was carrying a long bamboo in his hand.
He went to Birbal and took the bamboo in his right hand and the small bamboo piece of the emperor left in the left hand.
Beerbal said, "Hujoor, now see this piece, it has become untrained."
In front of a large bamboo, the piece was small.
Seeing the cleverness of Niruthar Emperor Akbar smiled, Birbal.