आदमी एक रूप तीन - अकबर बीरबल की कहानी
आदमी एक रूप तीन - अकबर बीरबल की कहानी
एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, "क्या तुम हमें तीन तरह की खूबियां एक ही आदमी में दिखा सकते हो?"
"जी हुजूर, पहली तोते की, दूसरी शेर की, तीसरी गधे की। परन्तु आज नहीं, कल।" बीरबल ने कहा।
"ठीक है, तुम्हें कल का समय दिया जाता है", बादशाह ने इजाजत देते हुए कहा।
अगले दिन बीरबल एक व्यक्ति को पालकी में डालकर लाया और उसे पालकी से बाहर निकाला। फिर उस आदमी को शराब का एक पैग दिया। शराब पीकर वह आदमी डरकर बादशाह से विनती करने लगा- "हुजूर! मुझे माफ कर दो। मैं एक बहुत गरीब आदमी हूं।" बीरबल ने बादशाह को बताया, "यह तोते की बोली है"
कुछ देर बाद उस आदमी को एक पैग और दिया तो वह नशे में बादशाह से बोला, "अरे जाओ, तुम दिल्ली के बादशाह हो तो क्या, हम भी अपने घर के बादशाह हैं। हमें ज्यादा नखरे मत दिखाओ"
बीरबल ने बताया, "यह शेर की बोली है", कुछ देर बाद उस आदमी को एक पैग और दिया तो वह नशे में एक तरफ गिर गया और नशे में ऊटपटांग बड़बड़ाने लगा।
बीरबल ने उसे एक लात लगाते हुए बादशाह से कहा, "हुजूर! यह गधे की बोली है"
बादशाह बहुत खुश हुए। उन्होंने बीरबल को बहुत-सा इनाम दिया।
One man in three form - Akbar Birbal Story
Once, Emperor Akbar asked Birbal, "Can you show us three types of characteristics in the same person?"
"Hijoor, first parrot, second lion, third asshole, but not today, tomorrow." Birbal said.
"Okay, you are given tomorrow's time", the King gave permission, saying.
The next day, Birbal brought one person into the palanquin and pulled him out of the palanquin. Then he gave a man a spell of alcohol. After drinking alcohol, the man started begging with the king, "Huff, please forgive me. I am a very poor man." Birbal told the King, "It is the parrot's speech"
After a while, he gave a man a stroke and he said to the drunken king, "Hey go, if you are the ruler of Delhi, then we are the king of our house, do not show us much tantrums."
Birbal said, "This is the lion's bid", after a while he gave a man a stroke and he fell on the one side of the drunk and began to grumble about intoxication.
Birbal said to the emperor while hurling him, "Hujhur! This is the asshole"
The King was very happy. He gave Birbal many prizes.