कंजूस- मखीचूस - प्रसिद्ध मुहावरा कहानी
कंजूस- मखीचूस - प्रसिद्ध मुहावरा कहानी
कहावतों की दूनिया बडी रोचक होती है। एक वाक्य या वाक्यांश में पूरी की पूरी बात कह देना। मगर कभी सोचा है कि इन कहावतों के पीछे और क्या और कैसी कहानियां बनी- छुपी रहती हैं। ऎसी ही एक कहानी याद आ गई इस कहावत की। एक आदमी था, बेहद कंजूस। कभी किसी को ना कुछ खिलाता- न पिलाता। ख़ुद भी कभी उनके यहाँ नहीं जाता कि किसी के यहाँ कुछ खा पी लेने पर लोग उसे भी खिलाने-पिलाने को कहेंगे।
एक बार उसकी मा ने उसे बाज़ार से घी लाने को कहा। घी ले कर जब वह लौट रहा था, तभी अचानक एक मक्खी घी के कटोरे में गिर पडी। कंजूस को बड़ा गुस्सा आया। उसने मारे गुस्से के मक्खी को कटोरे से बाहर निकाला और झटके से उसे फेंकना चाहा कि एकदम से रुक गया। उसने मक्खी की और देखा। उसके पूरे बदन पर घी लिपटा हुआ था। इतने घी का नुकसान? उसने उस माखी को मुंह में रख लिया। सारा घी चूस लेने के बाद उसने उसे मुंह से बाहर निकाल कर फेंक दिया और घर की और चल पड़ा। वह खुश था कि उसने घी का नुकसान नही होने दिया। संयोग की बात, कि जिस समय वह यह सब कर रहा था, उसके गाँव के एक आदमी ने उसे ऐसा करते देख लिया। बस, तभी से उसका नाम न केवल कंजूस -मक्खीचूस पड़ गया, बल्कि बेहद कंजूस को इसी नाम से पुकारे जाने का रिवाज़ ही चल पडा।
Stingy - Idiom Story
The quotes of the proverbs are very interesting. In a sentence or phrase, let's say the whole thing is complete. But what is the thought behind these proverbs and what other stories have remained - remains hidden. This story of the same thing has been remembered. There was a man, extremely miserable Ever gonna feed someone to somebody ghee - I do not drink He himself does not even go here, if someone drinks something here, people will also ask him to feed and feed.
Once her mother asked her to bring ghee to the market. After ghee while returning, the tab suddenly fell into a bowl of ghee. The miser was a big angry person. He pulled out the fury of the angry out of the bowl and tried to throw it away with a shock that stopped immediately. She saw and saw the fly Ghee was wrapped on his whole body. The loss of so much ghee? He kept that Maki in the mouth. After taking all the ghee, he threw it out of his mouth and threw it away and walked towards the house. He was happy that he did not allow ghee to be lost. The coincidence, that at the time he was doing all this, a man from his village saw him doing this. From that moment onwards, his name not only became miser-stricken, but the practice of calling a very miserable name is called by this name.