Jay Ambe Gauri - Ambe Ji Ki Aarti माँ अम्बे जी की आरती

Ambe ji ki aartiDurga Ji Ki Aarti, jai ambe gauri aarti lyrics, Durga Maa ki Aarti, Durga ji ki aarti, Maa Katyayini Aarti Lyrics : माँ दुर्गा के पावन नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायिनी की पूजा की जाती है इस पूजा मे जय अम्बे गौरी आरती का गान करें। इस आरती के उच्चारण मात्र से आपको पुण्य प्राप्ति होती है।
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Jay Ambe Gauri Aarti - (अम्बे जी की आरती) Video- 


Jay Ambe Gauri - Durga ji ki aarti, Ambe Ji Ki Aarti: नवरात्रि के नौ दिनों मे माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। हर दिन माँ के अलग अलग स्वरूप की पूजा की जाती है, नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्याईनी की पूजा की जाती है। इस पूजा मे आपको जय अम्बे गौरी आरती का गान करना चाहिए। आरती के साथ आप संख घंटी, ढ़ोल इत्यादि का भी प्रयोग कर सकते हैं। कुछ बाते आपको पूजा मे विशेष तौर पर ध्यान रखनी चाहिए जैसे की आप आरती के दीपक के साथ उल्टा आरती ना करें। माता दुर्गा की आरती का एक विशेष महत्व है जिसे आपको गान जरूर करना चाहिए। आरती के साथ आप घंटी और शंख का प्रयोग जरूर करें इससे घर की दरिद्रता का नाश होता है और समृद्धि आती है।

नवरात्रि के दिनों में भक्त जन, माँ भगवती दुर्गा को प्रसन्न करने और सिद्धि प्राप्त करने के लिए सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ करते हैं। जिससे माँ दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं। 

Jay Ambe Gauri Aarti - (अम्बे जी की आरती) Lyrics- 

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी

माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी

कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी

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