सम्पूर्ण चाणक्य नीति हिन्दी मे - Complete Chanakya Niti in Hindi
Chanakya Niti in Hindi- चाणक्य नीति प्रकांड विद्वान, महान अर्थशास्त्री
आचार्य विष्णुगुप्त द्वारा रचित है। इन्हे "चाणक्य" और
"कौटिल्य" के नाम से भी जाना जाता है। आचार्य चाणक्य अत्यंत विद्वान,
बुद्धिमान और महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे। इन्होने अपने बुद्धि और
राजनीति के बल और सामर्थ्य से भारतीय इतिहास को नयी दिशा दे दी थी। मौर्य
साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड
अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्यात हुए।
"चाणक्य नीति" आचार्य चाणक्य की नीतियों का अद्भुत संग्रह है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना वह दो हजार चार सौ साल पहले था, जब इसे लिखा गया था। यद्यपि चाणक्य नीति प्राचीन समय मे लिखी गयी थी परंतु उनके विचारों और अनुभवो से आज के समय मे भी बहुत ज्यादा मेल दिखाई देता है। इसलिए हम चाणक्य नीति मे बताए गए अनुभवों को हम दैनिक जीवन मे भी लागू कर सकते हैं। और बहुत सी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति मे मित्र-भेद से लेकर दुश्मन तक की पहचान, पति-परायण तथा चरित्र हीन स्त्रियों में विभेद, राजा का कर्तव्य और जनता के अधिकारों तथा वर्ण व्यवस्था का उचित निदान बताया है। जिससे उनका आसानी से निदान भी हो जाता है। इसलिए आपको चाणक्य नीति एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए।
महापंडित आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति मे कुल 17 अध्यायों को स्थान दिया है आप नीचे दिये गए लिंक्स के जरिये उन्हे आसानी से पढ़ सकते हैं।
अर्थ- जो लोग एक-दूसरे के भेदों को प्रकट करते हैं, वे उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे बांबी में फंसकर सांप नष्ट हो जाता है।
सम्पूर्ण चाणक्य नीति | Complete Chanakya Niti
चाणक्य नीति प्रसिद्ध महापंडित आचार्य विष्णुगुप्त कौटिल्य के द्वारा लिखी गयी
है। इसमे उन्होने अपने गहन चिंतन, जीवानानुभाओं और सामाजिक विश्लेषण से अर्जित
अमूल्य ज्ञान को पूरी तरह से निःस्वार्थ भावना से मानवीय कल्याण के लिए
अभिव्यक्त किया है। ताकि उनके बाद आने वाले व्यक्तियों को उनके अनुभवों का
ज्ञान प्राप्त हो सके।
तदहं संप्रवक्ष्यामि लोकानां हितकाम्यया।
येन विज्ञानमात्रेण सर्वज्ञत्वं प्रपद्यते॥
येन विज्ञानमात्रेण सर्वज्ञत्वं प्रपद्यते॥
''मैं लोगों की भलाई की इच्छा से ( राजनीति के) उन गूढ़ रहस्यों का वर्णन कर रहा
हूं, जिन्हें जान लेने मात्र से मनुष्य सर्वज्ञ हो जाता है अर्थात् और कुछ
जानना उसके लिए शेष नहीं रह जाता।" - आचार्य चाणक्य
"चाणक्य नीति" आचार्य चाणक्य की नीतियों का अद्भुत संग्रह है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना वह दो हजार चार सौ साल पहले था, जब इसे लिखा गया था। यद्यपि चाणक्य नीति प्राचीन समय मे लिखी गयी थी परंतु उनके विचारों और अनुभवो से आज के समय मे भी बहुत ज्यादा मेल दिखाई देता है। इसलिए हम चाणक्य नीति मे बताए गए अनुभवों को हम दैनिक जीवन मे भी लागू कर सकते हैं। और बहुत सी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति मे मित्र-भेद से लेकर दुश्मन तक की पहचान, पति-परायण तथा चरित्र हीन स्त्रियों में विभेद, राजा का कर्तव्य और जनता के अधिकारों तथा वर्ण व्यवस्था का उचित निदान बताया है। जिससे उनका आसानी से निदान भी हो जाता है। इसलिए आपको चाणक्य नीति एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए।
महापंडित आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति मे कुल 17 अध्यायों को स्थान दिया है आप नीचे दिये गए लिंक्स के जरिये उन्हे आसानी से पढ़ सकते हैं।
सम्पूर्ण चाणक्य नीति हिन्दी में - Complete Chanakya Niti in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति की प्रस्तावना | Chanakya Niti in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति पहला अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti First Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति दूसरा अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Second Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति तीसरा अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Third Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति चौथा अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Fourth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति पांचवा अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Fifth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति छठा अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Sixth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति सातवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Sevneth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति आठवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Eighth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति नौवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Ninth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति दसवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Tenth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति ग्यारहवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Eleventh Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति बारहवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Twelfth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति तेरहवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Thirteenth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति चौदहवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Fourteenth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति पंद्रहवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Fifteenth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति सोलहवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Sixteenth Chapter in Hindi
- 🗒️ चाणक्य नीति सत्रहवाँ अध्याय हिन्दी में - Chanakya Niti Seventeenth Chapter in Hindi
चाणक्य का परिचय-
वह चणक का पुत्र होने के नाते चाणक्य था। उसकी चालें शत्रु की पकड़ में नहीं आती थीं, अति कुटिल थीं, इसीलिए उसे लोगों ने नाम दिया था - कौटिल्य ।
वह दिखने में जितना कठोर था, उतना ही सहृदय भी था। राजनीति की बिसात पर टेढ़ी-मेढ़ी चालों का खिलाड़ी होने पर भी वह सच्चा महात्मा था। उसके लिए सुख-वैभव, पद आदि महत्वपूर्ण नहीं थे, महत्वपूर्ण था देश का अखंड गौरव अखंड भारत के उस स्वप्न को साकार करने के लिए वह न कहीं रुका, न कहीं झुका।
चाणक्य नीति | Chanakya Niti
जिस प्रकार विज्ञान में सुनिश्चित सिद्धांतों की खोज की जाती है और उनकी
पुष्टि बार-बार किए गए प्रयोगों से एकसमान प्राप्त निष्कर्षों से होती है,
उसी प्रकार नीतिशास्त्र की भी एक सुनिश्चित परंपरा है। इसके निष्कर्ष भी
प्रत्येक स्थिति-परिस्थिति में एकसमान हैं। इसीलिए आचार्य चाणक्य ने
नीतिशास्त्र को विज्ञान कहा है। वे इस ज्ञान के द्वारा 'सर्वज्ञ' होने की बात
भी कहते हैं। यहां सर्वज्ञ होने का अर्थ है अतीत, वर्तमान और भविष्य का
विश्लेषण करने की क्षमता प्राप्त कर लेना।
मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्।
मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्ये चाऽपि नियोजयेत्॥
मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्ये चाऽपि नियोजयेत्॥
अर्थ- मन से सोचे हुए कार्य को वाणी द्वारा प्रकट नहीं करना चाहिए,
परंतु मननपूर्वक भली प्रकार सोचते हुए उसकी रक्षा करनी चाहिए और चुप रहते हुए
उस सोची हुई बात को कार्यरूप में बदलना चाहिए।
इन्द्रियाणि च संयम्य बकवत् पण्डितो नरः।
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्॥
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्॥
अर्थ- बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में करके समय के
अनुरूप अपनी क्षमता को तौलकर बगुले के समान अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए
परस्परस्य मर्माणि ये भाषन्ते नराधमाः।
त एवं विलयं यान्ति वल्मीकोदरसर्पवत्॥
त एवं विलयं यान्ति वल्मीकोदरसर्पवत्॥
अर्थ- जो लोग एक-दूसरे के भेदों को प्रकट करते हैं, वे उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे बांबी में फंसकर सांप नष्ट हो जाता है।
नोट : आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित
"चाणक्य नीति" मे लिखित कुछ बातें, विचार और लेख आदि कुछ जाति और धर्म विशेष
की भावनाओं को आहत कर सकती हैं। चाणक्य नीति (Chanakya Niti) मे
स्त्रियों, महिलाओं और निम्न हिन्दू वर्ग के लोगों की भावनाओं को नीचा
दिखाया गया है। यह एक प्राचीन ग्रंथ है जिसमे आचार्य विष्णुगुप्त
(कौटिल्य) "चाणक्य" के निजी अनुभव और विचारधारा का उल्लेख है। हम स्त्री
और पुरुष मे समानता को मानने वाले हैं। और इस नीति के विरुद्ध जाति
प्रथा के विरोधी हैं।
आचार्य चाणक्य के द्वारा लिखित चाणक्य नीति को अक्षरशः आपके समक्ष प्रस्तुत करने के लिए हमने केवल ऐसा किया है। हमारा उद्धेश्य आप तक chanakya niti पहुँचाने का था ना कि आपकी भावनाएं आहत करने का।
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आचार्य चाणक्य के द्वारा लिखित चाणक्य नीति को अक्षरशः आपके समक्ष प्रस्तुत करने के लिए हमने केवल ऐसा किया है। हमारा उद्धेश्य आप तक chanakya niti पहुँचाने का था ना कि आपकी भावनाएं आहत करने का।
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